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Shashank
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कब तक भारत माँ साँसे लेगी केवल भारत माता की जय के नारों में.... भारत माँ की हत्या हो रही हर रोज़ इन अखबारों में.... कैसे जय होगी भारत माता की जब रोज देश मे नारी मारी जाती है...... हर रोज किसी की अस्मत लूटी जाती है..... लेकर वोट हम ही से ये नेता हर रोज़ बतोले बाज़ी करते हैं.... नारी सुरक्षा पे केवल इनसे बस भाषण ही मिलते हैं..... बलात्कारी जेहादी इनके संरक्षण मे ही तो पलते हैं... नन्ही बच्चियों तक को हवस का शिकार बनाया जाता है.... तब मेरा अंतरमन आँसुओं से भर जाता है.... लाशों के आगे अब किसी की मुहब्बत की दुकान नहीं खुलती है..... राजनीतिक स्वार्थ के कारण अब किसी की जुबान नही खुलती है..... मानवता के आगे खड़ी ये सबसे बड़ी चुनौती है..... मुझको तो अब लगता है की लोकतंत्र ही सबसे बड़ी पनौती है... जेहादियों के कातिल मंसूबों के आगे ये दण्ड संहिता बौनी लगती है..... लचर है कानून व्यवस्था जो न्याय दिलाने का दम भरती है.... इनकी बर्बरता के आगे फ़ासी की सजा भी कम से कम लगती है..... लोकतंत्र में अब स्त्री का भक्षण बंद करो.... और बलत्कारियों के मानव अधिकारों का संरक्षण बंद करो .... दण्ड संहिता में बस इक संसोधन और करवा दो..... बलात्कार करने वालों को २ फीट नीचे मिट्टी में जिंदा गडवा दो.... हत्या करने पर हाथ पैर कटवाकर बीच सड़क पर रखवा दो.... —Shashank ©Shashank
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इक शुरुआत करके सब अंत करना है.... अंत करके सब अनंत करना है.... आंखों के सपनों को मुट्ठी में भरना है.... समय की ऊष्मा में तपकर तरना है.... नवदिन के उद्भव की खातिर हर रात्रि ढ़लना है.... पुष्प हटा कर कांटों पर चलना है.... ©Shashank
10 Love
बदहालत बुत को फिर से गढ़ने का इरादा रखते हैं..... कोई मारने का इरादा रखता है तो हम मरने का इरादा रखते हैं..... रखता होगा दहशत का इरादा कोई, हम वक्त से लड़ने का इरादा रखते हैं.... हर इक सितम में हम बढ़ने का इरादा रखते हैं... वक्त की लहरों को हम पीने का इरादा रखते हैं..... सौ सितम झेलकर भी हम जीने का इरादा रखते हैं.... —Shashank ©Shashank
हे ! भारत के युवा तुम भी एक प्रण करो.... राष्ट्र भक्ति के भावों को और भी दृढ़ करो.... भारत पर संकट आए तो भारत मां की सेवा पर लग जाना.... बेटे संग बेटियों तुम भी आगे बढ़ जाना.... स्वाधीनता पर आंच आए तो तुम मर्दानी बन जाना.... युगों तक याद रहे वीरता की वो अमर कहानी बन जाना.... वक्त पड़ने पे पर भगत सिंह के किस्से तक गढ़ जाना.... वतन की खातिर हंसते हंसते फांसी तक चढ़ जाना.... शत्रु जब बेवजह सिर पर चढ़ने लगे..औकात उसकी हद से ज्यादा बढ़ने लगे.... सीमाएं बेचैन हो उठें... और प्यास सरहदों की बढने लगे.... उस वक्त तुम हवाओं को एक नया मजमून दे देना.... प्यास से बेचैन सरहदों को सुकून दे देना.... तुम जाकर बस सरहदों में अपना खून दे देना ..... तुम इस धरती पर शौर्य की इक नई दास्तान लिख देना.... कलम की जरूरत नहीं है तुम मिट्टी पर हिंदुस्तान लिख देना.... —शशांक पटेल ©Shashank
मेरे दिल में सिर्फ थोड़ी सी मोहब्बत थी, भला तुझ पे कैसे लूटाता मैं.... वतन का कर्ज मुझ पर था बता कैसे चुकाता मैं.... —शशांक पटेल ©Shashank
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