बदहालत बुत को फिर से गढ़ने का इरादा रखते हैं.....
कोई मारने का इरादा रखता है तो हम मरने का इरादा रखते हैं.....
रखता होगा दहशत का इरादा कोई, हम वक्त से लड़ने का इरादा रखते हैं....
हर इक सितम में हम बढ़ने का इरादा रखते हैं...
वक्त की लहरों को हम पीने का इरादा रखते हैं.....
सौ सितम झेलकर भी हम जीने का इरादा रखते हैं....
—Shashank
©Shashank
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#MereKhayaal