English
The Social Man| Avid Poet |Writer |Wanderer Blogger| Foodie|enthusiastic Sky is the limit.
बाबा तुझे देखने के बाद बाकी क्या रह जाता हैं मुर्दा भी अगर जो हो नया जनम मिल जाता हैं ©Vinod Ganeshpure
Vinod Ganeshpure
15 Love
White " प्राण स्वयं प्रकाशित " हम दूर हैं अंतर निरंतर बढता जा रहा हैं पर स्नेह एक दुसरे के प्रति चढता जा रहा हैं अब चिंताये सोच अविश्वास की खोज हीं नहीं हर इक पल सम्मान प्रेम वास्तविक विचार बढता जा रहा हैं आखे रंग रूप भौतिकता का जहर डुबता जा रहा हैं वासनाओ की तृप्ती खारा समंदर सुखता जा रहा हैं बह निकली हैं अंतरमन से व्यापक मिठी अनंत इक नदी स्वयम का मुझ को नूतन परिचय होता जा रहा हैं समर्पण अर्पण त्याग प्रेम अखंडीत हृदय में पलता जा रहा हैं परोपकार की भावनाओ का शहद निकलता जा रहा हैं हम दोनो चिटी के भाती जैसे हो कर भी कोई अस्तित्व न हो ऐसे जीवित हैं विरह का शक्खर के इक इक दाने से भी मन स्वर्ग सुख प्राप्त करता जा रहा हैं प्रेम असाधारन हैं अनंत शक्तियो का यौवन हैं कोमल ममता से भरी माँ धरती ये अनंत पिता गगन नीला ये त्रिभुवन हैं चैतन्य दिव्यता का प्रत्यक्ष स्वयं ईश्वर सुरज के रूप में प्रकाशित विराजित हैं शेष जीवन हैं हम सब में जो जीवन मृत्यू बन कर श्रुष्टि में प्रवाहित हैं सब कुछ हैं प्रत्यक्ष सत्य प्रकृती के कन कन में स्थिर अस्थिर सदियों से ये प्राण स्वयं प्रकाशित होने की मंजिल की तरफ बढता जा रहा हैं ©Vinod Ganeshpure
17 Love
जिसको हराना चाहते हो जितनी भी कोशिश कर लो वो हारने वाला नहीं तुम दिन रात एक ही क्यूँ न करलो वो पीछे रहने वाला नहीं उसकी मंजिल सिर्फ है देश की सेवा वो उसका रस्ता बदलने वाला नहीं जो चाहे लगा दो प्रतिबंध जो चाहे लगा दो झुठे आरोप कर लो जी भर के अवेहलना जितना चाहे उडाओ मजाक वो तुम्हारे सामने झुकने वाला नहीं पानी रुपी संघर्ष उसकी पेहचान है वो विश्वास का प्रखर सूर्य तेज है बढाते रहो नकारात्मक सोच का अंधेरा वो किंचित भी छुपने वाला नहीं एक योगी के भाती समर्पित एक जीवन विचार है इस मिट्टी के तपस्वीयो, गुरुजनो का प्राण है राजनीती को मिला श्रेष्ठ वरदान है वो पर्वत जैसा कर्मठ निश्चियी अटल है कितनी भी खडी कर दो मुश्किले तुफानो सी तुमसे वो रुकने वाला नहीं वो निरंतर चलता पानी है हर पल हर घडी बहते जाना उसकी निशानी हैं ज्यादा उस को जब तंग करोगे शांती उसकी भंग करोगे उसको मिटाने की कोशिश में तुम मिट्टी में मिल जाओगे लेकिन वो तुम से मिटने वाला नहीं सपने देखते रहो उसको हराते रहने के तुम पराजित हो जाओगे ये निश्चित हैं हैं बडा काम दुनिया में नाम उसका वो यूं ही हार मानने वाला नहीं - विनोद गणेशपुरे ©Vinod Ganeshpure
13 Love
White शिव जगत के परम तत्व भी शिव ही तो इक निरंकार हैं शिव धरे है अहम इस तरह मौन शिव का अलंकार हैं क्रोध शिव ने पिया है सभी यूँ हला हल नमस्कार है चंद्र को सिर पे रख जो दिया शिव तिरा रूप अंधकार है शेष को जब लगा कर गले विष बना नित्य जयकार है नंदी को प्रेम ऐसा दिया भक्त शिव सत्य स्वीकार है -विनोद गणेशपुरे ©Vinod Ganeshpure
तेरी कृपा बिना पाया नही मेंने कुछ भी , जानता हूँ इक तू ही मेरी फिक्र कर रहा है तेरे मर्जी के बीना हिलता भी नही पत्ता, जानता हूँ साथ है तू तो ये दौर चल रहा है ©Vinod Ganeshpure
8 Love
vbg किसी में झाकने का शौक नही हमें.. हम तो हर पल खुद को उमदा बनाने की खोज में डूबे हुए है । ©Vinod Ganeshpure
14 Love
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here