हौसलों में आज अपनें, एक जोशीला, उत्साह हो रहा है।
जज़्बों में आज अपनें, नई ऊर्जा का परवाह हो रहा है।।
सूरज की इस किरण ने, एक उमंग सी बांध दी है।
कुछ कर दिखाने की, एक तरंग सी बांध दी है।।
दिन है आज मेरा, आज विजय का पताका फहराना है।
मंज़िल पर पहुंच, झंड़ा अपने नाम का लहराना है।।
हार हो गई थी भले ही कल मेरी, अब कब तक दुख मनाऊंगा मैं।
दिन चढ़ गया है आज और एक नया, आज कुछ कर दिखाऊंगा मैं।।
एक संरक्षक अगर मर भी जाए, पर लड़ना नहीं छोड़ता।
फूल अगर मसला भी जाए, पर महकना नहीं छोड़ता।।
रस्ते के कंकर पत्थरों से डर, आज मुझे रुकना नहीं है
रुकावटें अगर तमाम आ जाए, पर मुझे झुकना नहीं है।
अगर कुछ करूंगा तो, तब ही कोई हल निकलेगा
अगर आज नहीं निकला तो, अवश्य ही कल निकलेगा
आज मैं ख़ुद पर एक एहसान कर दूंगा
मंज़िल को में आज, अपनें नाम कर दूंगा
©निर्मोही साहिल
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