हिंदी दिवस किसी काव्य का ,अलंकार है हिन्दी।
एक मातृ प्रेम का,संस्कार है हिन्दी।।
किसी सुहागिन के माथे पर सजती है बिंदी ।
एक बच्चे की जिव्हा पर खिलती है हिन्दी ।।
है मान मेरा हिन्दी ,है अभिमान मेरा हिन्दी।
हिन्दी ही मेरी शान है, है स्वाभिमान मेरा हिन्दी ।।
हिन्दी ही मेरा देश है, हिन्दी ही मेरा धर्म,
हिन्दी ही मेरी भाषा है, हिन्दी ही मेरा कर्म।।
हिन्दी ही मेरी काया है,हिन्दी ही मेरी माया।
हिन्दी ही मेरा सब कुछ,हिन्दी ही मेरी छाया।।
©निर्मोही साहिल
#Hindidiwas