एक अरसा हो गया, उसे झुकते झुकते,
कुछ तो ख्याल उसके मन में भी आया होगा।
छोड़ना तो बेशक उसने भी चाहा होगा,
पर कुछ तो होगा, जो वो ठेहरा होगा।
- @ek_khat_21
अब साथ नही हैं वो मेरे,
हो गए हैं फासले, कुछ गेहरे से,
बस, याद उसे कर लेती हूँ,
सूट में रहकर, बिन्दी लगाकर,
मेहसूस उसे कर लेती हूँ ।
हाँ, मैं अब भी मेहसूस उसे कर लेती हूँ ।
उसे पसंद थी,मेरी लबों की वो हँसी,
जिसका सिंगार मैं किया करती थी।
नटखट-सी, झल्ली-सी मैं,
उसे पसंद किया करती थी।
उसे पसंद थी, पागल-सी मैं,
जब एक नाम से उसे चिड़ाती थी।
और दिल ही दिल मैं सिर्फ,
उसे ही अपना मानती थी।
खुद का जिक्र जब भी किया हैं मैनें,
उसको ही मौजूद पाया है खुद में,
उसे खबर नहीं, की उसे ही याद किया हैं मैनें।
उसे पसंद था मेरा, सूट में रहना,
जीन्स में रहने वाली-सी मैं,
सूट की होकर रह गई।
उसे पसंद थी,
वो मेरे माथे की...काली बिन्दी,
मैं उस बिन्दी के... संग ही सवर गई।
तेरे साथ बिताए वो कुछ लम्हें,
मैं आज भी जी लेती हूँ,
उन लम्हों में खोकर,
मैं आज भी, हँस लेती हूँ...
हाँ, याद है मुझे, वो तेरा नाम सुनते ही
मेरा यूँ शरमा जाना।
हाँ, याद है मुझे, वो तेरा नाम सुनते ही
मेरा यूँ शरमा जाना।
तेरा वो किसी और के साथ पढ़ना,
जो मुझे बिल्कुल नहीं भाता था..
वो किसी और का ख्याल रखना,
जो मुझे बेचैन कर जाता था...
वो तेरा किसी और के साथ रहना,
मुझे छोड़ वो तेरा सबको समय देना...
हाँ, याद है मुझे, वो तेरा नाम सुनते ही,
मेरा यूँ शरमा जाना....
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