काफी अरसे बाद आज,
सपने में दीदार हुआ है..!!
लगता है तुम्हे मेरे से
फिर से प्यार हुआ है..!!
हकीकत में नहीं लौट सकती हो..!!
इसलिए सपनों में सता रही हो..!!
लगता है चाह कर भी मुझे भूल नहीं पा रही हो..!!
सपने में मेरे से निगाह नहीं मिला रही थी..!!
पलट पलट कर देखती जा रही थी..!!
सपने में ज़ख्मों पर मरहम लगा रही थी..!!
मगर हकीकत में रुला रही हो..!!
ना जाने कौन था वो शख्स
जो सितम कर रहा था मेरे पर,
मेरे लिए तुम उससे लड़ रही थी..!!
मगर हकीकत में खुद ही सितम ढा रही हो..!!
कोनसा रूप सच मानू मैं
जो तुम सपने में थी वो
या जो हकीकत में दिखा रही हो..!!
तुम तो दूर जाकर भी मेरे दिल पर कहर ढा रही हो..!!
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