सुनो, तुम्हें पता है कल रात तुम फिर सपने में आ गये... यूँ तो हक़ीक़त में वक़्त की धूल के चलते सब कुछ धुंधला सा हो गया है किन्तु उस स्वप्न में वही सारी फीलिंग्स जीवंत दिखाई पड़ी। स्वप्न में कुछ ऐसा दिख रहा था, मानो मुझे किसी खास कार्यक्रम के लिए तैयार होना था जिसके लिए मैंने करीब सप्ताह भर पहले बता रख्खा था कि जो कोई मुझे सबसे ज्यादा प्यार करता होगा वही मेरा मेक-अप करेगा।
स्वप्न चल रहा था, मैंने देखा मेरा मेक अप कोई और करने ही वाला था कि तभी तुम मेक अप किट लिए भागते भागते मेरे पास तक आ पहुंचे.! उस समय तुम्हारी ही चर्चा चल रही थी, कोई कह रहा था जो इसे बहुत प्यार करती थी वो तो बेचारी कहीं और चली गई है, अब जो कर रही है उसे ही यह माना जाये कि वही इससे सबसे ज्यादा प्यार करती है.. हालांकि मुझे उससे मेक -अप करवाने का मन नहीं था मगर बात ही कुछ ऐसी हुई थी.. कि तभी मेरी नज़र तुम पर पड़ी,... तुम.. खामोश खड़े केवल आँखों से झर झर आसूं बहा रहे थे, मानो तुमने आने में देर कर दी हो.. या तुम चाहकर भी इस इम्तिहान में सफल ना हो पाये हो..! मानो तुम सब कुछ गंवा चुके हो.. लेकिन तब तक मेरा मेक अप हो चुका था, और तुम मेक-अप किट वहीं छोड़कर वापस लौट गये.... मानो खुद पूरी निष्ठा से संघर्ष करने के बाद भी कोई इंसान असफल हो गया हो.. उस वक़्त तुम जो सोच रहे थे मुझे वह भी महसूस हो रहा था-"मैंने ख़बर मिलते ही कितनी मुश्किल से सबको मनाकर दौड़ती भागती आई, मगर अब बेकार हो गया.. लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी नहीं आ पाई समय पर नहीं आ पाई.. और ऐसा सोच सोचकर तुम तकलीफ में दिख रहे थे.. और मैं केवल तुम्हें उस स्थिति में ही देख रहा था..उस वक़्त जो तुम्हारे अन्दर बीती होगी और जो मेरे अन्दर बीती होगी उस पीड़ा को क्या शब्दों में लिखा जा सकेगा..!
हाँ मगर उस स्वप्न के टूटते ही, मानो मैंने सब कुछ खो दिया था.. क्यूंकि सपने में तो तुम थे ना.. पर हकीकत में तुम कहां..?
©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
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