होली के रंग,बढ़ती उमंग, मेरे साजना को तरस न आया
हाथ लेके गुलाल,कोमल से गाल,मेरे सपनों को रंग लगाया
मतवाले नयनो के बाण चलाकर,पिया ने किया मुझको घायल
सुरमयी शब्दों से प्यार जताकर ,करके गया मुझको पागल
दिल के सुरताल ,मेरे उलझे से बाल ,मुझे फूलों से उसने सजाया
होली के रंग,बढ़ती उमंग, मेरे साजना को तरस न आया
हाथ लेके गुलाल,कोमल से गाल,मेरे सपनों को रंग लगाया
तन और बदन मे आग लगाकर,करके गया है दिवाना
बलमा ने आकर बाँहों मे भरके,किया दुनिया से मुझको बेगाना
नयनों की पलक,तले एक झलक,जैसे सागर ने मोती छुपाया
होली के रंग,बढ़ती उमंग, मेरे साजना को तरस न आया
हाथ लेके गुलाल,कोमल से गाल,मेरे सपनों को रंग लगाया
मिलती नजर मुझसे सरमा के बोली,जिस्मों का मिलन अब है होना
दिल की फुहार बोली नजरों की धार,मेरा हर एक अंग भिगोना
हो जाऊँ सराबोर,मेरा बलम चितचोर,दिल के रंगों को दिल से लगाया
होली के रंग,बढ़ती उमंग, मेरे साजना को तरस न आया
हाथ लेके गुलाल,कोमल से गाल,मेरे सपनों को रंग लगाया
©Prakash Shukla
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