कवि मनोज कुमार मंजू

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White क्रोध और इंसानियत दोनों एक साथ नहीं रह सकते... ©कवि मनोज कुमार मंजू

 White क्रोध और इंसानियत
दोनों एक साथ नहीं रह सकते...

©कवि मनोज कुमार मंजू

#विचार #क्रोध #इंसानियत #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #कविता #sad_quotes

15 Love

White झूठ बिक रहा शो रूमों में, सच फुटपाथों का मोहताज सिंह घूमता गलियारों में, सिंहासन गिरगिट का राज उम्मीदें गैरों से करता, खुद पर बची नहीं है आस चेले नहीं हजारों चोले, संत वही तो आज है खास ©कवि मनोज कुमार मंजू

 White झूठ बिक रहा शो रूमों में,
सच फुटपाथों का मोहताज
सिंह घूमता गलियारों में,
सिंहासन गिरगिट का राज
उम्मीदें गैरों से करता,
खुद पर बची नहीं है आस
चेले नहीं हजारों चोले,
संत वही तो आज है खास

©कवि मनोज कुमार मंजू

#कविता #विचार #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #Sad_Status

14 Love

White मायके के रिमोट से चलने वाला टीवी घर में भयंकर सुनामी लेकर आता है... ©कवि मनोज कुमार मंजू

 White मायके के रिमोट से चलने वाला टीवी घर में भयंकर सुनामी लेकर आता है...

©कवि मनोज कुमार मंजू

#परिवार #मायका #सुनामी #विचार #आज_का_विचार #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #मँजू_वाणी

11 Love

White फलदार वृक्ष की झुकती हैं डालियाँ... सीधे तो वही खड़े हैं... जिनकी खोखली जड़ें हैं... ©कवि मनोज कुमार मंजू

 White फलदार वृक्ष की
झुकती हैं डालियाँ...
सीधे तो वही खड़े हैं... जिनकी खोखली जड़ें हैं...

©कवि मनोज कुमार मंजू

#विचार #जीवन #फलदार #वृक्ष #मनोज_कुमार_मंजू #मँजू #where_is_my_train

13 Love

White प्यारी थी घर की आन वान शान जिंदगी बनी शमसान एक लम्बी तन्हाई खुशी न रास आई चिंता न करो कहकर खुद चिता ओढ़ गए मतलबी दुनिया में अकेला छोड़ गए शायद मिलेंगी खुशियाँ घर में फिर खनकी चूड़ियाँ पर कर्मों से कौन बचाता है इतिहास खुद को दोहराता है जीवन से फिर शर्मसार हूँ मैं अभागा गुनहगार हूँ धन की चाह में रिश्तों को भूल गए खुशी देख सीने पर सांप लोट गए कमियां तो दोनों में थी एक की उछाली, एक की दबा ली तुम तो माँ थी एक को कहा तो तड़प गई दूजे को कहा तो मुकर गई भेदभाव सह न सका रोये बिन रह न सका खुद को तो संभाल पाया बिखरे रिश्ते न संभाल पाया जीवन से फिर शर्मसार हूँ मैं अभागा सबका गुनहगार हूँ ©कवि मनोज कुमार मंजू

#मैं_गुनहगार_हूँ #मनोज_कुमार_मंजू #कविता #भाग्य #नियति #अभागा  White प्यारी थी घर की आन वान शान 
जिंदगी बनी शमसान
एक लम्बी तन्हाई 
खुशी न रास आई 
चिंता न करो कहकर 
खुद चिता ओढ़ गए
मतलबी दुनिया में अकेला छोड़ गए 
शायद मिलेंगी खुशियाँ 
घर में फिर खनकी चूड़ियाँ
पर कर्मों से कौन बचाता है 
इतिहास खुद को दोहराता है 
जीवन से फिर शर्मसार हूँ 
मैं अभागा गुनहगार हूँ
धन की चाह में रिश्तों को भूल गए 
खुशी देख सीने पर सांप लोट गए 
कमियां तो दोनों में थी 
एक की उछाली, एक की दबा ली 
तुम तो माँ थी 
एक को कहा तो तड़प गई
दूजे को कहा तो मुकर गई 
भेदभाव सह न सका 
रोये बिन रह न सका 
खुद को तो संभाल पाया
बिखरे रिश्ते न संभाल पाया 
जीवन से फिर शर्मसार हूँ 
मैं अभागा सबका गुनहगार हूँ

©कवि मनोज कुमार मंजू

White हर बार संतान ही गलत नहीं होती... कभी-कभी अपने कर्म और संस्कार भी देख लेने चाहिए... ©कवि मनोज कुमार मंजू

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संतान ही गलत नहीं होती...
कभी-कभी
अपने कर्म और संस्कार भी देख लेने चाहिए...

©कवि मनोज कुमार मंजू
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