Naveen Mahajan

Naveen Mahajan Lives in Moradabad, Uttar Pradesh, India

लिखता तो पहले भी था मैं, पर लोगों को कब दिखता है? कविता जब कोई छप जाती है, तब कहते हैं - 'हाँ, लिखता है।'

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green-leaves वर्णमालिका... "घने जञ्गल में विद्यार्थियों, ज्ञानी ऋषियों और तेज़-रफ़्तार क्षत्रपों ने आगे बढ़ते, ढीठ व उद्दण्ड शेर को भगाने के बाद सुगन्धित फल खाने बैठीं छः चञ्चल चिड़ियों को श्रम व सूझबूझ से हटाया।" (सभी स्वरों अथवा मात्राओं के साथ क से ह तक व्यञ्जन एवं क्ष, त्र, ज्ञ, द्य, श्र, ज़, फ़, ड़ एवम् ढ़ ध्वनियां मात्र 34 शब्दों में संजोने का प्रयास, सुझाव आमंत्रित हैं।) ©Naveen Mahajan

#कोट्स #hindipangram #varnmalika  green-leaves वर्णमालिका...

"घने जञ्गल में विद्यार्थियों, ज्ञानी ऋषियों और तेज़-रफ़्तार क्षत्रपों ने आगे बढ़ते, ढीठ व उद्दण्ड शेर को भगाने के बाद सुगन्धित फल खाने बैठीं छः चञ्चल चिड़ियों को श्रम व सूझबूझ से हटाया।"

(सभी स्वरों अथवा मात्राओं के साथ क से ह तक व्यञ्जन एवं क्ष, त्र, ज्ञ, द्य, श्र, ज़, फ़, ड़ एवम् ढ़ ध्वनियां मात्र 34 शब्दों में संजोने का प्रयास, सुझाव आमंत्रित हैं।)

©Naveen Mahajan

Google रीढ़-रहित जीवों में भी होता होगा स्वाभिमान बोन्साई में भी होती होगी चाह, जड़ें फैलाने की परम उदासीन भी रखता होगा कोई तो प्रछन्न मत मौन को भी रहती होगी एक आस व्यक्त हो जाने की निर्लज्ज भी कभी तो करता होगा शोक उन परिस्थितियों पर जिन्होंने हर ली थी उसकी लज्जा तुम मर गए थे उसी दिन जिस दिन धरी थी चांदी की पादुकाएं अपने सिर पर कुछ हो न हो रीढ़, जड़, मत, अभिव्यक्ति और शोक विहीन शरीर को ढोने का दम था तुममें अपार सादर नमस्कार! ©Naveen Mahajan

#Manmohan_Singh_Dies #कविता  Google रीढ़-रहित जीवों में भी होता होगा स्वाभिमान

बोन्साई में भी होती होगी चाह, जड़ें फैलाने की

परम उदासीन भी रखता होगा कोई तो प्रछन्न मत

मौन को भी रहती होगी एक आस व्यक्त हो जाने की

निर्लज्ज भी कभी तो करता होगा शोक उन परिस्थितियों पर जिन्होंने हर ली थी उसकी लज्जा

तुम मर गए थे उसी दिन
जिस दिन धरी थी चांदी की पादुकाएं अपने सिर पर

कुछ हो न हो
 रीढ़, जड़, मत, अभिव्यक्ति और शोक विहीन शरीर को ढोने का दम था तुममें अपार

सादर नमस्कार!

©Naveen Mahajan

White चरवाहा बचपन में मुझे बनना था बड़ा बस बड़ा, और कुछ नहीं फिर टीचर और डाॅक्टर शायद हर बच्चे की तरह हां, बीच में जादूगर तो बनना ही था शायद सैनिक और जासूस भी साइंटिस्ट, अफ़सर, बैंक-कर्मी लेक्चरर और बिज़नेस टायकून भी पर अब बनना चाहता हूं एक चरवाहा हां, एक अपढ़ चरवाहा - गीत गाता हुआ, टीले पर भेड़ॆं चराता हुआ ! ©Naveen Mahajan

#कविता #Charvaha  White चरवाहा       

बचपन में मुझे बनना था बड़ा
बस बड़ा, और कुछ नहीं
फिर टीचर और डाॅक्टर
शायद हर बच्चे की तरह
हां, बीच में जादूगर तो बनना ही था
शायद सैनिक और जासूस भी
साइंटिस्ट, अफ़सर, बैंक-कर्मी
लेक्चरर और बिज़नेस टायकून भी
पर अब बनना चाहता हूं एक चरवाहा
हां, एक अपढ़ चरवाहा - 
गीत गाता हुआ, टीले पर भेड़ॆं चराता हुआ !

©Naveen Mahajan

#Charvaha

16 Love

वो कविताएं जो लिखी थीं तुम पर, कभी नहीं थीं तुम्हारे लिए. तुम मुक्त हो कवियों की रचनाकार! ©Naveen Mahajan

#कविता  वो कविताएं 
जो लिखी थीं तुम पर,
कभी नहीं थीं तुम्हारे लिए.

तुम मुक्त हो 
कवियों की रचनाकार!

©Naveen Mahajan

वो कविताएं जो लिखी थीं तुम पर, कभी नहीं थीं तुम्हारे लिए. तुम मुक्त हो कवियों की रचनाकार! ©Naveen Mahajan

14 Love

वो कविताएं जो लिखी थीं तुम पर कभी नहीं थीं तुम्हारे लिए तुम मुक्त हो कवियों की रचनाकार! ©Naveen Mahajan

#कविता #Red  वो कविताएं 
जो लिखी थीं तुम पर 
कभी नहीं थीं तुम्हारे लिए 
तुम मुक्त हो 
कवियों की रचनाकार!

©Naveen Mahajan

#Red

16 Love

a-b-c-d की महफ़िल है अ-आ-इ भी आये हैं रंग-बिरंगी ओढ़ चुनरिया नम्बर संग इतराये हैं. GK Moral Computers सब देख रहे हैं मेरी ओर देखो-देखो SSt भी पीछे-पीछे लाये हैं. Drawing-Craft से भरपाई की क्या तरकीब निकाली है! पूछेंगे "Exam में उनके कितने नम्बर पाये हैं?" सरकारी एक Pledge रटवा के इतनी सारी उम्मीदें? बचपन अपना सीमित करके खरे उतरने आये हैं. ©Naveen Mahajan

#कविता #seemit_bachpan  a-b-c-d की महफ़िल है 
अ-आ-इ भी आये हैं 
रंग-बिरंगी ओढ़ चुनरिया 
नम्बर संग इतराये हैं.

GK Moral Computers सब 
देख रहे हैं मेरी ओर 
देखो-देखो SSt भी 
पीछे-पीछे लाये हैं. 

Drawing-Craft से भरपाई की 
क्या तरकीब निकाली है! 
पूछेंगे "Exam में उनके 
कितने नम्बर पाये हैं?" 
 
सरकारी एक Pledge रटवा के 
इतनी सारी उम्मीदें?
बचपन अपना सीमित करके 
खरे उतरने आये हैं.

©Naveen Mahajan
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