कुछ कनकही बातें .................
वो दिल से हमेशा कहते हैं
हम तुम्हारें है,
रिश्ता हमारा जो बहुत ही प्यारा है
जो सिर्फ हमारा है,
फिर कहां से कुछ अनकही बातों की
उलझन में उलझ कर रह जाते है दोनों,
क्यों उनकी तलब कह उठती
एक दूसरे से ये जो मेरा है सिर्फ मेरा है,
वहां तुम्हारी या तुम्हारी बातों की
कोई जरुरत तो है ही नहीं !!
आख़िर क्यों....??
क्या हर रिश्ता ऐसा ही होता है..??
क्या हर रिश्ते में प्यार के मायने
एक अधूरे एहसास की ही तरह होते हैं....??
आख़िर क्यों.....??
क्यों..............??
#प्रिया🙂
©Riya Kumari
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