Bittu Kumar

Bittu Kumar

A Teacher, A Write ✍️, A motivational speaker

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White करवा चौथ करवा चौथ के व्रत को वो त्यौहार-सा मनाती है, ढेर सारी घर की जिम्मेदारियां के बीच, आज के दिन खुद को दुल्हन-सा सजाती है, अपने सातों श्रृंगार से वो, अपने भावों को खुलकर बताती है, यूं तो प्यार से छोटे-मोटे झगड़े करती है हर रोज, पर आज समुद्र की गहराई-सी मोहब्बत जताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । पहन लाल जोड़ा सुकून का वो, साथी के होने की रंगत को दिखाती है, एक दिन पहले ही लगा हाथों पर मेहंदी, मानो वो अपनी किस्मत लिखवाती है, वो स्त्री ही है जो भूल सारी खामियां पुरुष की, आज अपने पति को चाँद-सा बताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां और बालों में गजरा लगाती है, माथे पर बिंदी, आंखों में काज़ल, नाक में नथनी और होठों पर लाली लगाती है, उंगलियों में अंगूठी, हाथों में लाल चूड़ा, पैरों में पायल व बिछिया जमाती है, ऐसे; वो आज के दिन; देवी-सी बन, हमसफ़र के लम्बी उम्र की अरदास लगाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । ✍️✍️✍️ *बिट्टू कुमार* ©Bittu Kumar

#कविता  White करवा चौथ
करवा चौथ के व्रत को 
वो त्यौहार-सा मनाती है,
ढेर सारी घर की जिम्मेदारियां के बीच,
आज के दिन खुद को दुल्हन-सा सजाती है,
अपने सातों श्रृंगार से वो, 
अपने भावों को खुलकर बताती है,
यूं तो प्यार से छोटे-मोटे झगड़े करती है हर रोज,
पर आज समुद्र की गहराई-सी मोहब्बत जताती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
 वो त्यौहार-सा मनाती है ।
पहन लाल जोड़ा सुकून का वो,
साथी के होने की रंगत को दिखाती है,
एक दिन पहले ही लगा हाथों पर मेहंदी,
मानो वो अपनी किस्मत लिखवाती है,
वो स्त्री ही है जो भूल सारी खामियां पुरुष की,
आज अपने पति को चाँद-सा बताती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है ।
मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र,
कानों में बालियां और बालों में गजरा लगाती है,
माथे पर बिंदी, आंखों में काज़ल, 
नाक में नथनी और होठों पर लाली लगाती है,
उंगलियों में अंगूठी, हाथों में लाल चूड़ा,
पैरों में पायल व बिछिया जमाती है,
ऐसे; वो आज के दिन; देवी-सी बन,
हमसफ़र के लम्बी उम्र की अरदास लगाती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है ।
✍️✍️✍️ *बिट्टू कुमार*

©Bittu Kumar

White करवा चौथ करवा चौथ के व्रत को वो त्यौहार-सा मनाती है, ढेर सारी घर की जिम्मेदारियां के बीच, आज के दिन खुद को दुल्हन-सा सजाती है, अपने सातों श्रृंगार से वो, अपने भावों को खुलकर बताती है, यूं तो प्यार से छोटे-मोटे झगड़े करती है हर रोज, पर आज समुद्र की गहराई-सी मोहब्बत जताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । पहन लाल जोड़ा सुकून का वो, साथी के होने की रंगत को दिखाती है, एक दिन पहले ही लगा हाथों पर मेहंदी, मानो वो अपनी किस्मत लिखवाती है, वो स्त्री ही है जो भूल सारी खामियां पुरुष की, आज अपने पति को चाँद-सा बताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां और बालों में गजरा लगाती है, माथे पर बिंदी, आंखों में काज़ल, नाक में नथनी और होठों पर लाली लगाती है, उंगलियों में अंगूठी, हाथों में लाल चूड़ा, पैरों में पायल व बिछिया जमाती है, ऐसे; वो आज के दिन; देवी-सी बन, हमसफ़र के लम्बी उम्र की अरदास लगाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । ✍️✍️✍️ *बिट्टू कुमार* ©Bittu Kumar

14 Love

White करवा चौथ करवा चौथ के व्रत को वो त्यौहार-सा मनाती है, ढेर सारी घर की जिम्मेदारियां के बीच, आज के दिन खुद को दुल्हन-सा सजाती है, अपने सातों श्रृंगार से वो, अपने भावों को खुलकर बताती है, यूं तो प्यार से छोटे-मोटे झगड़े करती है हर रोज, पर आज समुद्र की गहराई-सी मोहब्बत जताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । पहन लाल जोड़ा सुकून का वो, साथी के होने की रंगत को दिखाती है, एक दिन पहले ही लगा हाथों पर मेहंदी, मानो वो अपनी किस्मत लिखवाती है, वो स्त्री ही है जो भूल सारी खामियां पुरुष की, आज अपने पति को चाँद-सा बताती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र, कानों में बालियां और बालों में गजरा लगाती है, माथे पर बिंदी, आंखों में काज़ल, नाक में नथनी और होठों पर लाली लगाती है, उंगलियों में अंगूठी, हाथों में लाल चूड़ा, पैरों में पायल व बिछिया जमाती है, ऐसे; वो आज के दिन; देवी-सी बन, हमसफ़र के लम्बी उम्र की अरदास लगाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है, कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को, वो त्यौहार-सा मनाती है । ✍️✍️✍️ बिट्टू कुमार ©Bittu Kumar

#कविता #karwachouth  White  करवा चौथ
करवा चौथ के व्रत को 
वो त्यौहार-सा मनाती है,
ढेर सारी घर की जिम्मेदारियां के बीच,
आज के दिन खुद को दुल्हन-सा सजाती है,
अपने सातों श्रृंगार से वो, 
अपने भावों को खुलकर बताती है,
यूं तो प्यार से छोटे-मोटे झगड़े करती है हर रोज,
पर आज समुद्र की गहराई-सी मोहब्बत जताती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
 वो त्यौहार-सा मनाती है ।
पहन लाल जोड़ा सुकून का वो,
साथी के होने की रंगत को दिखाती है,
एक दिन पहले ही लगा हाथों पर मेहंदी,
मानो वो अपनी किस्मत लिखवाती है,
वो स्त्री ही है जो भूल सारी खामियां पुरुष की,
आज अपने पति को चाँद-सा बताती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है ।
मांग में सिन्दूर, गले में मंगलसूत्र,
कानों में बालियां और बालों में गजरा लगाती है,
माथे पर बिंदी, आंखों में काज़ल, 
नाक में नथनी और होठों पर लाली लगाती है,
उंगलियों में अंगूठी, हाथों में लाल चूड़ा,
पैरों में पायल व बिछिया जमाती है,
ऐसे; वो आज के दिन; देवी-सी बन,
हमसफ़र के लम्बी उम्र की अरदास लगाती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है,
कुछ यूं करवा चौथ के व्रत को,
वो त्यौहार-सा मनाती है ।
✍️✍️✍️  बिट्टू कुमार

©Bittu Kumar

#karwachouth

14 Love

#कविता #bajiraomastani  हीर का जन्मदिन त्योहार हो जाता है,
मोहब्बत में ऐसे भी प्यार हो जाता है,
महीना बारहवां, दिन अट्ठाईस,
दो दिल एक-दूजे का संसार हो जाता है,
जो था इते सालों से अनजान मुझसे,
वो ऐसे जीवनभर का यार हो जाता है,
मिलन की खुशियां होती है जहन में,
खत्म वो लम्बा इंतजार हो जाता है,
कुछ यूं एक उलझा-सा, नासमझ लड़का,
हीर के जन्मदिवस का उपहार हो जाता है,
प्रेमिका-सी बनाकर रखूंगा मैं उसे,
प्रेमी के दिल का; शायरी से इज़हार हो जाता है,
उसकी मुस्कान, उसकी हंसी के लिए,
जन्मदिवस पर दुआओं का ये मेला; हजार हो जाता है,
हीर का जन्मदिवस त्योहार हो जाता है,
मोहब्बत में ऐसे भी प्यार हो जाता है ।
✍️✍️✍️ बिट्टू कुमार

©Bittu Kumar
#कविता  हर घर तिरंगा की ये कैसी मुहिम चलाई है !
क्या इसने हमारे तिरंगे की मान बढ़ाई है ?
बिक रहा है पगडंडियों पर आज तिरंगा,
जिसके लिए हर भारतीय ने गौरव की मुहर लगाई है,
हर छोटे से बच्चे को थमा दिया है आज तिरंगा,
क्या पहले उसकी गरिमा हमने उसको बतलाई है,
उस अनजान ने फेंक दिया है तिरंगे को कहीं भी,
ऐसे न जाने कितने तिरंगों को हमने अनजाने में धूल चटाई है,
रोजी-रोटी के लिए बेच रहा दरिद्र आज तिरंगा,
उस नासमझ ने न जाने कितनी बार डंडी तिरंगे की उल्टी लटकाई है,
क्या यही आजादी का अमृत महोत्सव है हमारा,
जिसमें ये दृश्य देख आंखें हिन्दूस्तानी की भर आई है,
बता दो आज इस तिरंगे की शान सबको,
जिसके लिए न जाने कितने वीरों ने जान गंवाई है,
जो ले रहा है हाथ में तिरंगा,
जान से ज्यादा सम्भालकर रखना प्राथमिकता हमारी है,
हर घर तिरंगा की ये मुहिम; सोचो आप, क्यूं चलाई है ?
क्या हमने इसके सहारे सच में तिरंगे की मान बढ़ाई है !
फिर भी
फिर भी प्रश्न मन में उठना सहज है,
क्या तिरंगे का यूं फुटपाथ पर बिकना जयज़ (जायज़) है,
ये आजादी का जश्न दिल से है,
या उद्देश्य केवल प्रचार-प्रसार का महज है,
न जाने ऐसे कितने सवालों से घिरा हूँ मैं,
बस उत्तर एक है; सम्मान तिरंगे का हमारा फरज़ (फर्ज़) है ।
✍️✍️✍️बिट्टू कुमार

©Bittu Kumar

तिरंगा

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#कविता  

जबसे बैठे हो विद्यार्थी रूपी इस नौका पर,
अध्यापकों ने इसकी पतवार चलाई है,
पहले गौर से सुनना फिर बोलना,
पढ़ना उसके बाद कलम हाथ में पकड़ाई है,
कभी छोटे बच्चे-सा पुचकारा है उन्होंने आपको,
तो बड़े होने पर माँ-बाबा-सी फटकार भी लगाई है,
गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर,
दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है,
ग़र कभी लड़कों का उठा है कॉलर,
तो लड़कियों ने भी एक चोटी बनाई है,
इसपर कभी प्रफुल्ल सर ने दिखाया है प्यार,
तो शारदा मैम ने भी खूब खरी खोटी सुनाई है,
इन्हीं यादों का राज रहेगा आपके दिल पर,
कुछ ऐसी अध्यापक-विद्यार्थी के रिश्ते की गहराई है,
गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर,
दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है,
यूँ ही पथ-प्रदर्शक बने रहेंगे ये अध्यापक तुम्हारे,
बस यही दुआएं इनकी असली कमाई है,
खूब मेहनत कर आगे बढ़ते जाना,
आपमें ही तो इनके उम्मीदों की परछाई है,
तुम स्वस्थ रहो, खुशहाल रहो,
यही दुआ हम सबके दिल से आई है,
गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर,
दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है ।
✍️✍️✍️बिट्टू कुमार

©Bittu Kumar

जबसे बैठे हो विद्यार्थी रूपी इस नौका पर, अध्यापकों ने इसकी पतवार चलाई है, पहले गौर से सुनना फिर बोलना, पढ़ना उसके बाद कलम हाथ में पकड़ाई है, कभी छोटे बच्चे-सा पुचकारा है उन्होंने आपको, तो बड़े होने पर माँ-बाबा-सी फटकार भी लगाई है, गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर, दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है, ग़र कभी लड़कों का उठा है कॉलर, तो लड़कियों ने भी एक चोटी बनाई है, इसपर कभी प्रफुल्ल सर ने दिखाया है प्यार, तो शारदा मैम ने भी खूब खरी खोटी सुनाई है, इन्हीं यादों का राज रहेगा आपके दिल पर, कुछ ऐसी अध्यापक-विद्यार्थी के रिश्ते की गहराई है, गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर, दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है, यूँ ही पथ-प्रदर्शक बने रहेंगे ये अध्यापक तुम्हारे, बस यही दुआएं इनकी असली कमाई है, खूब मेहनत कर आगे बढ़ते जाना, आपमें ही तो इनके उम्मीदों की परछाई है, तुम स्वस्थ रहो, खुशहाल रहो, यही दुआ हम सबके दिल से आई है, गमगीन न होना कभी यूँ बिछुड़कर, दस्तूर जिंदगी का, मिलन और विदाई है । ✍️✍️✍️बिट्टू कुमार ©Bittu Kumar

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पूछा हमारे रिश्ते के बारे में, तो मैंने हम लिख दिया, और बात चली जब भी वक्त देने की, तो मैंने उसे हरदम लिख दिया, सफ़र पर साथ निभाना पूछा, तो संग उसके मैंने जन्मों-जन्म लिख दिया, जब-जब पुराने जख्मों का हिसाब आया, तो मैंने उसे ही मेरा मरहम लिख दिया, ग़र अहसासों की हुई ख्वाइश, तो उन्हें मेरी कलम लिख दिया, प्यार की गहराई पूछी, तो सिर्फ उसे ही मेरा सनम लिख दिया ।। ✍️✍️✍️बिट्टू कुमार ©Bittu Kumar

#कविता  पूछा हमारे रिश्ते के बारे में,
तो मैंने हम लिख दिया,
और बात चली जब भी वक्त देने की,
तो मैंने उसे हरदम लिख दिया,
सफ़र पर साथ निभाना पूछा,
तो संग उसके मैंने जन्मों-जन्म लिख दिया,
जब-जब पुराने जख्मों का हिसाब आया,
तो मैंने उसे ही मेरा मरहम लिख दिया,
ग़र अहसासों की हुई ख्वाइश,
तो उन्हें मेरी कलम लिख दिया,
प्यार की गहराई पूछी,
तो सिर्फ उसे ही मेरा सनम लिख दिया ।।
✍️✍️✍️बिट्टू कुमार

©Bittu Kumar

पूछा हमारे रिश्ते के बारे में, तो मैंने हम लिख दिया, और बात चली जब भी वक्त देने की, तो मैंने उसे हरदम लिख दिया, सफ़र पर साथ निभाना पूछा, तो संग उसके मैंने जन्मों-जन्म लिख दिया, जब-जब पुराने जख्मों का हिसाब आया, तो मैंने उसे ही मेरा मरहम लिख दिया, ग़र अहसासों की हुई ख्वाइश, तो उन्हें मेरी कलम लिख दिया, प्यार की गहराई पूछी, तो सिर्फ उसे ही मेरा सनम लिख दिया ।। ✍️✍️✍️बिट्टू कुमार ©Bittu Kumar

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