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मैं ज़िंदा हूं इसी लिऐ बोलता हूं
Shayar Rizwan
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Friday, 26 January | 01:06 am
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कितना गिर गया तू बड़ा कमज़र्फ निकला तू जितना सोचा था उस से भी बड़ा दोगला निकला तू तेरे घर में आग लगी है तुझको फिक्र नहीं तेरी बेटियों को नंगा घुमाया गया तेरी आंखों में शर्म नही औरों की बड़ी फिक्र करता है तू बड़ी तकलीफ़ आंखों में आसूं और मातम करता है तू जिस देश का खाया नमक और बेच रहा है जिसको तू थोड़ी फिक्र इसकी भी करले खुद को इस धरती का लाल कहेता है तू कहते है कानून अंधा होता है तूने ये झूठ है साबित करदिया अंधी तो सरकार भी होती है तूने ये ज़ाहिर कर दिया अब सिर्फ़ ताना शाही चलेंगी लगता है तू ये सोच के बैठा है तु अपने अंजाम से गाफिल बैठा है अपने आप को फिरोन भी खुदा समझता था उसका अंजान क्या हुआ लगता है तू ये भूल के बैठा है ©Shayar Rizwan
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इनकी सिर्फ़ इतनी ही औकात है सत्ता इनकी है तो इनके बाप का राज है हौसला मत हार ए अल्लाह के बंदे कोई है या नही तेरे साथ क्या फ़र्क पड़ता है याद रख वो खालिक वो मालिक हर मजलूम के साथ है ©Shayar Rizwan
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मेरे मुल्क की फिज़ा कुछ इस तरहां बदली देखने वालो की नज़र तो कीसी की सोच बदल गई राजनीति का गंदा खेल कुछ इस्तरहा खेला जो बोया था नफ़रत का बीज वो पेड़ बन गया जो दोस्त सिर्फ़ कहेनेको नही जो मेरे साथ होते थे कभी आज उनकी बातों में तेढा पन और आंखों मै नफ़रत देखी आज मुहब्बत पे फिर नफ़रत भारी पड़ गईं इंसानियत हार गईं और धर्म की राजनीति जीत गईं ©Shayar Rizwan
8 Love
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