मेरे मुल्क की फिज़ा कुछ इस तरहां बदली
देखने वालो की नज़र
तो कीसी की सोच बदल गई
राजनीति का गंदा खेल कुछ इस्तरहा खेला
जो बोया था नफ़रत का बीज वो पेड़ बन गया
जो दोस्त सिर्फ़ कहेनेको नही
जो मेरे साथ होते थे कभी
आज उनकी बातों में तेढा पन
और आंखों मै नफ़रत देखी
आज मुहब्बत पे फिर नफ़रत भारी पड़ गईं
इंसानियत हार गईं और
धर्म की राजनीति जीत गईं
©Shayar Rizwan
मेरे मुल्क की फिज़ा
#Independence