harshit demon

harshit demon Lives in Mumbai, Maharashtra, India

Script writer and lyricist Bollywood galiyara / author/ composer/Creative Director

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"बोझ इतना की सपना हवा हो गया अब तो मैं भी अंधेरों में रवा हो गया साथ देने वाले छुपे है कहीं बिल में दर्द इतना बढ़ा की दवा हो गया" ©harshit demon

#शायरी #Anger  "बोझ इतना की सपना हवा हो गया
अब तो मैं भी अंधेरों में रवा हो गया
साथ देने वाले छुपे है कहीं बिल में 
दर्द इतना बढ़ा की दवा हो गया"

©harshit demon

#Anger

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एले वतन पर मरने वालों ©harshit demon

#कविता #Agnipath  एले वतन पर मरने वालों

©harshit demon

ए एले वतन पे मिटने वालों वेतन पर कब से मरने लगे सीमा पर जिनकी जरूरत है वो बवाल पटरी पर करने लगे हुड़दंग आगजनी के पश्चात गर वर्दी सेवा की पा जाओगे

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Happy Dussehra घमंड का चूरन गटक कर फलक नही पहुंचेगा मटक कर, मौका मिले तो दिलों में जगह बना क्या पता कब गिरेगा आसमान से झटक कर, वक्त है नजरे, ऐब, गर्दन झुका के चल वरना रह जायेगा सिर पटक कर, लहू में नर्मी ला चल सब की उंगली पकड़ कर हिमालय का गिरा कभी मिला नही भटक कर। ©harshit demon

#विचार  Happy Dussehra  घमंड का चूरन गटक कर 
फलक नही पहुंचेगा मटक कर,
मौका मिले तो दिलों में जगह बना
क्या पता कब गिरेगा आसमान से झटक कर,

वक्त है नजरे, ऐब, गर्दन झुका के चल
वरना रह जायेगा सिर पटक कर,
लहू में नर्मी ला चल सब की उंगली पकड़ कर 
हिमालय का गिरा कभी मिला नही भटक कर।

©harshit demon

Happy Dussehra घमंड का चूरन गटक कर फलक नही पहुंचेगा मटक कर, मौका मिले तो दिलों में जगह बना क्या पता कब गिरेगा आसमान से झटक कर, वक्त है नजरे, ऐब, गर्दन झुका के चल वरना रह जायेगा सिर पटक कर, लहू में नर्मी ला चल सब की उंगली पकड़ कर हिमालय का गिरा कभी मिला नही भटक कर। ©harshit demon

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_काम_पर_लगा_दिया_ बड़ी व्यथा है कहा नहीं जाता खुदगर्ज ज़माना ये सहा नही जाता, भरे पूरे बाप को 'जाम' पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया उम्र थी मट्टी से लिपटकर रोने की मां की बाहों में गोद में सिमटकर सोने की, बेचारे बचपन को विराम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया सुबह से शाम खेलने की जिद्द में बच्चा तो होता है अपनी ही सुध में, क्या सुबह क्या शाम सब आवाम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया, फूलो से हाथ और भगवान सा बचपन सच का साथ और परवान सा बचपन, जवानी से पहले ही संग्राम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया, बल्ला उठाना था बोरी उठा रहे है कोई मांजने को बर्तन हिम्मत जुटा रहे हैं, पढ़ाई को तो मानो बदनाम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया, खाना पीना सब बाप भरोसे बस मां हर समय खाना परोसे, ऐसा आसरा मजदूरी के अंजाम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया, पंख खोलने थे उड़ना था मीलों फिरना था भोलापन था सच्चाई थी दिलों को हरना था, इस खूबसूरती को जिंदगी के पैग़ाम पर लगा दिया वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया। _Harshit_Demon ©harshit demon

#विचार #Happy_holi  _काम_पर_लगा_दिया_

बड़ी व्यथा है कहा नहीं जाता 
 खुदगर्ज ज़माना ये सहा नही जाता,
   भरे पूरे बाप को 'जाम' पर लगा दिया 
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया
      
उम्र थी मट्टी से लिपटकर रोने की 
 मां की बाहों में गोद में सिमटकर सोने की,
   बेचारे बचपन को विराम पर लगा दिया 
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया
      
सुबह से शाम खेलने की जिद्द में 
 बच्चा तो होता है अपनी ही सुध में, 
   क्या सुबह क्या शाम सब आवाम पर लगा दिया
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया,
      
फूलो से हाथ और भगवान सा बचपन
 सच का साथ और परवान सा बचपन,
   जवानी से पहले ही संग्राम पर लगा दिया 
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया,
      
बल्ला उठाना था बोरी उठा रहे है
 कोई मांजने को बर्तन हिम्मत जुटा रहे हैं,
   पढ़ाई को तो मानो बदनाम पर लगा दिया
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया,
      
खाना पीना सब बाप भरोसे 
 बस मां हर समय खाना परोसे,    
   ऐसा आसरा मजदूरी के अंजाम पर लगा दिया
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया,
      
पंख खोलने थे उड़ना था मीलों फिरना था 
 भोलापन था सच्चाई थी दिलों को हरना था,
   इस खूबसूरती को जिंदगी के पैग़ाम पर लगा दिया
      वक्त ने मासूम को काम पर लगा दिया।
      

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©harshit demon

तेरे मन के सारे ऊल तू ख्याल त्याग दे, ये रोज रोज की झंझट ये बवाल त्याग दे, किस्से लिपट कर रो लें सभी के हाथ में खंजर, कष्ट देते ये सवाल जो है वो सवाल त्याग दे, दर्द की कसौटी यार न तू इस कदर बढ़ा, शब्दों की नोक पे धरे जो मेरे गाल त्याग दे, अपनी अग्नि से जलाकर मुझ पर फेकती है तू, है मेरी ये विनय तू वो मृणाल त्याग दे, ये हुस्न की बला पर जिन्न ये कैसे लिपट गया, हिम्मत करके तू उस जिन्न का कपाल त्याग दे, वर्तमान ही है शाश्वत ये गीता में पढ़ा तो कर, नस को जो दबा दे दर्द वो त्रिकाल त्याग दे, बेशक है तेरे हुस्न पर लाखों युवा फिदा, गर हुस्न का मद तुझे तो ये जमाल त्याग दे। जमाल - खुबसूरत त्रिकाल - भूत, भविष्य, वर्तमान मृणाल - कमल का पुष्प ©harshit demon

#कामुकता #blindtrust  तेरे मन के सारे ऊल तू ख्याल त्याग दे,
ये रोज रोज की झंझट ये बवाल त्याग दे,

किस्से लिपट कर रो लें सभी के हाथ में खंजर,
कष्ट देते ये सवाल जो है वो सवाल त्याग दे,

दर्द की कसौटी यार न तू इस कदर बढ़ा,
शब्दों की नोक पे धरे जो मेरे गाल त्याग दे,

अपनी अग्नि से जलाकर मुझ पर फेकती है तू,
है मेरी ये विनय तू वो मृणाल त्याग दे,

ये हुस्न की बला पर जिन्न ये कैसे लिपट गया,
हिम्मत करके तू उस जिन्न का कपाल त्याग दे,

वर्तमान ही है शाश्वत ये गीता में पढ़ा तो कर,
नस को जो दबा दे दर्द वो त्रिकाल त्याग दे,

बेशक है तेरे हुस्न पर लाखों युवा फिदा,
गर हुस्न का मद तुझे तो ये जमाल त्याग दे।

जमाल - खुबसूरत
त्रिकाल - भूत, भविष्य, वर्तमान
मृणाल - कमल का पुष्प

©harshit demon

kanpur written By Harshit Demon ©harshit demon

#कविता  kanpur written By Harshit Demon

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https://youtu.be/norpLWy9HFU click on link to watch such a wonderful narration on kanpur great video।

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