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राष्ट्र हित के लिए तैयार हर पल हूं, धर्म से, कर्म से, व्यक्तिव्त से निश्छल हूं।। –@indian "निश्छल"
White इतना भी खालीपन ना हो, कि हम खुद से ही ऊब जाएं, और खो जाएं उस गहन अंधकार में जहां खुद को ढूंढना भी मुश्किल हो ©Nischhal Raghuwanshi
Nischhal Raghuwanshi
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किसी की लेखनी से प्रभावित होने वाले ध्यान रखिए! लेखक वह लिखता है जो वह होना चाहता है वह नहीं जो वह अभी है। हां, कुछ लेखक अपने गढ़े हुए चरित्र सी खूबियां अपने में भी समा लेते हैं पर केवल कुछ....सभी नहीं।।। @indian_निश्छल ©Nischhal Raghuwanshi
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@indian_nischhal ©Nischhal Raghuwanshi
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सुनो! जिसके दीदार कर लेने मात्र से, तुम्हारे जीवन की गहन से गहन पीड़ा पल में छू हो जाती हो, उसे कभी किसी के भी दबाव में अपने से दूर नहीं जाने देना। उसके जाते ही तुम अपना जीवन भी खो दोगे और जीने की वजह भी.... उसे पास रखना एक फूल के तरह संजो कर, भले उसे तोड़ना मत न अपना बनाने की चेष्टा करना.... पर रखना हमेशा साथ, ताकि मुस्कुराता रहे सदा जीवन भी तुम्हारा उसी फूल के तरह! @indian_निश्छल ©Nischhal Raghuwanshi
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