Aakash Jain

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*ऐसा कोई दिन नही,* *जो "माँ" के बिन होता है।* *सदा गुण गाओ माँ के* *"माँ" से ही हर दिन होता है*

#mothers_day  *ऐसा कोई दिन नही,*
*जो "माँ" के बिन होता है।*

*सदा गुण गाओ माँ के*
*"माँ" से ही हर दिन होता है*

#mothers_day

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कुछ चलते पदचिन्हों पर,कुछ खुद पदचिन्ह बनाते है। महापुरुष कुछ ऐसे वे,जिनकी महिमा सब गाते है।। "कुंभलगढ़ मेवाड़" धरा वह,"क्षत्री वीर" का यश गाती। "महा प्रतापी राणा" के, इतिहास से जग में विख्याति।। थे ऊंचे वे सोच थी उँची, महालडाकू महाप्रबल। दुश्मन जिनके नाम से कांपे,"चेतक" में था हवा से बल।। मातृभूमि रक्षा की खातिर,वन में समय गुजारा था। "घांस की रोटी" खा ली हँसके,"अकबर" न स्वीकारा था।। जिनके भालो से टकराके,सेना चित हो जाती थी। हुँकारे बिजली सी भरते,हलचल तब मच जाती थी।। "हल्दी घाटी" याद करो,"अकबर" को धूल चटाई थी। जिनकी तलवारों से सारी,मुगल नींव धरराई थी।। दुश्मन पर भी छाप छोड़ दी,अपने शौर्य पराक्रम की। "अकबर" रोया मृत्यु सुन,"राणा" के वीर पराक्रम की।। पर "राणा से वीर" युगों में,एक बार ही आते है। शौर्य पराक्रम के बलिदानी,उनको शीश नवाते है।।

#maharana  कुछ चलते पदचिन्हों पर,कुछ खुद पदचिन्ह बनाते है।
महापुरुष कुछ ऐसे वे,जिनकी महिमा सब गाते है।।
"कुंभलगढ़ मेवाड़" धरा वह,"क्षत्री वीर" का यश गाती।
"महा प्रतापी राणा" के, इतिहास से जग में विख्याति।।
थे ऊंचे वे सोच थी उँची, महालडाकू महाप्रबल।
दुश्मन जिनके नाम से कांपे,"चेतक" में था हवा से बल।।
मातृभूमि रक्षा की खातिर,वन में समय गुजारा था।
"घांस की रोटी" खा ली हँसके,"अकबर" न स्वीकारा था।।
जिनके भालो से टकराके,सेना चित हो जाती थी।
हुँकारे बिजली सी भरते,हलचल तब मच जाती थी।।
"हल्दी घाटी" याद करो,"अकबर" को धूल चटाई थी।
जिनकी तलवारों से सारी,मुगल नींव धरराई थी।।
दुश्मन पर भी छाप छोड़ दी,अपने शौर्य पराक्रम की।
"अकबर" रोया मृत्यु सुन,"राणा" के वीर पराक्रम की।।
पर "राणा से वीर" युगों में,एक बार ही आते है।
शौर्य पराक्रम के बलिदानी,उनको शीश नवाते है।।

#maharana pratap

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जिंदगी छोटी अरमान बड़े है खुल के जियो ☺️☺️

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"खुद पर काम करो तुम,"स्वंम बुद्ध" बन जाओ। कुंदन से तपकर खुद तुम,स्वंम शुद्ध बन जाओ।। तुम मूल्यवान खुद ही हो,तुम कीमत अपनी जानो। खुद में खोजो तुम खुद को,खुद को ही तुम पहचानो।। तुम स्वंम शक्तिशाली हो,अद्भुत शक्ति है समाई। तप,ध्यान किया जो स्व का,उस उस ने है ये पाई।। नही कठिन कुछ भी है,जो चाहो वो तुम पा लो। अपने अंतर के बल पे,सृष्टि को चाहे झुका लो।। खुद पर काम करोगे,नाकाम नही कुछ होगा। तन मन जीवन निखरेगा,अविराम तुम्हे सुख होगा।।

#Buddha_purnima  "खुद पर काम करो तुम,"स्वंम बुद्ध" बन जाओ।
कुंदन से तपकर खुद तुम,स्वंम शुद्ध बन जाओ।।
तुम मूल्यवान खुद ही हो,तुम कीमत अपनी जानो।
खुद में खोजो तुम खुद को,खुद को ही तुम पहचानो।।
तुम स्वंम शक्तिशाली हो,अद्भुत शक्ति है समाई।
तप,ध्यान किया जो स्व का,उस उस ने है ये पाई।।
नही कठिन कुछ भी है,जो चाहो वो तुम पा लो।
अपने अंतर के बल पे,सृष्टि को चाहे झुका लो।।
खुद पर काम करोगे,नाकाम नही कुछ होगा।
तन मन जीवन निखरेगा,अविराम तुम्हे सुख होगा।।
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