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plz support from udaipur alone insta writer_villan_4687
हम दवा के नाम पर जहर पिए जा रहे है। के मकसद मालूम नही फिर भी जिए जा रहे है। और कोई गुनाह नही मोहब्बत और वफा के सिवा। हम जानते है आरजू। पर फिर भी देखोना हम रोज किए जा रहे हैं। ©vasim khan
vasim khan
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जिसे समझा था सबसे अजीज खासम खास मेने। के बड़ा आम शख्स है बेवफा सारे आम निकला। और उसे नाम से जानते थे मेरे सभी अपने आरजू के ये लड़का हर महफिल में फिर बदनाम निकला। ©vasim khan
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या खुदा सलामत रखना मेरी बहनों को। जो हिम्मत दे रही है मुझे ये दर्द सेहनो को। और बेकदार मोहब्बत ने भी ठुकरा दिया मुझे। के अब बेगार हु मुझे उनके दिल में रहने दो। ©vasim khan
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क्या लिखूँ सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके और जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके ©vasim khan
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उसके साथ रहते भी तराशे थे कई नगीने हमने के ये कोन केहता है वो जुदाई का दर्द नही सेहता। और कर तो लेते हम भी किसी और से मोहब्बत वसीम। पर फिर कोई और नगीना मेरी अंगूठी में नही बैठा। ©vasim khan
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