vasim khan

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हम दवा के नाम पर जहर पिए जा रहे है। के मकसद मालूम नही फिर भी जिए जा रहे है। और कोई गुनाह नही मोहब्बत और वफा के सिवा। हम जानते है आरजू। पर फिर भी देखोना हम रोज किए जा रहे हैं। ©vasim khan

#मोहब्बत #Instagram #Health #Shayar  हम दवा के नाम पर जहर पिए जा रहे है।
के
मकसद मालूम नही फिर भी जिए जा रहे है।
और
कोई गुनाह नही मोहब्बत और वफा के सिवा।
हम जानते है आरजू।
पर फिर भी देखोना हम रोज किए जा रहे हैं।

©vasim khan

जिसे समझा था सबसे अजीज खासम खास मेने। के बड़ा आम शख्स है बेवफा सारे आम निकला। और उसे नाम से जानते थे मेरे सभी अपने आरजू के ये लड़का हर महफिल में फिर बदनाम निकला। ©vasim khan

#Instagram #warrior #Shayar  जिसे समझा था सबसे अजीज खासम खास मेने।
के 
बड़ा आम शख्स है बेवफा सारे आम निकला।
और
उसे नाम से जानते थे मेरे सभी अपने आरजू
के 
ये लड़का हर महफिल में फिर बदनाम निकला।

©vasim khan

#Shayar #Nojoto #Instagram #warrior

19 Love

या खुदा सलामत रखना मेरी बहनों को। जो हिम्मत दे रही है मुझे ये दर्द सेहनो को। और बेकदार मोहब्बत ने भी ठुकरा दिया मुझे। के अब बेगार हु मुझे उनके दिल में रहने दो। ©vasim khan

#Instagram #Health #sister #Shayar  या खुदा सलामत रखना मेरी बहनों को।
जो
हिम्मत दे रही है मुझे ये दर्द सेहनो को।
और
बेकदार मोहब्बत ने भी ठुकरा दिया मुझे।
के
अब बेगार हु मुझे उनके दिल में रहने दो।

©vasim khan

क्या लिखूँ सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके और जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके ©vasim khan

#Instagram #PoetInYou #Shayar  क्या लिखूँ  सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके
के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके
और
जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब
 क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके

©vasim khan

#Shayar #Nojoto #Instagram #PoetInYou

21 Love

#Instagram #SADFLUTE #Shayar

#Shayar #Nojoto #Instagram #SADFLUTE

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उसके साथ रहते भी तराशे थे कई नगीने हमने के ये कोन केहता है वो जुदाई का दर्द नही सेहता। और कर तो लेते हम भी किसी और से मोहब्बत वसीम। पर फिर कोई और नगीना मेरी अंगूठी में नही बैठा। ©vasim khan

#EveningBlush #Instagram #Shayar  उसके साथ रहते भी तराशे थे कई नगीने हमने
के
ये कोन केहता है वो जुदाई का दर्द नही सेहता।
और 
कर तो लेते हम भी किसी और से मोहब्बत वसीम।
पर 
फिर कोई और नगीना मेरी अंगूठी में नही बैठा।

©vasim khan
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