क्या लिखूँ सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में स | English Shayari

"क्या लिखूँ सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके और जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके ©vasim khan"

 क्या लिखूँ  सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके
के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके
और
जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब
 क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके

©vasim khan

क्या लिखूँ सोचा था सुनाऊंगा शायरी उसे बाहों में सुलाके के अब तो खुद खो गया हु वो गया है ऐसे रुलके और जिसके लिए लिखना था वही नही रहा जब गालिब क्या लिखूं क्यू लिखूं आगे बड़ना है अब उसे भुलाके ©vasim khan

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