SAAHIL KUMAR

SAAHIL KUMAR

  • Latest
  • Popular
  • Video

White खुशकिस्मत हैं वो जो सो जाते हैं, जागने वाले तो फिर भी रोते हैं की आँखों में सुकून कहा है अब तो हर रात ही काली है सुबह के इंतज़ारो में सपने जगा कर रखते हैं थकान में भी कहा किसी को सुकून मिलता है ©SAAHIL KUMAR

#कविता  White खुशकिस्मत हैं वो जो सो जाते हैं, जागने वाले तो फिर भी रोते हैं की आँखों में सुकून कहा है अब तो हर रात ही काली है सुबह के इंतज़ारो में सपने जगा कर रखते हैं थकान में भी कहा किसी को सुकून मिलता है

©SAAHIL KUMAR

एक निंद सुकून भरी

11 Love

White अनजाने में सही पर मेरी बातें भी कहीं होती तो होंगी, कहीं न कहीं मेरी झुठी ही सही पर मेरी भी कहानियांँ याद आती होंगी, कभी तो होंगी मेरी भी शिकायतें किसी के हंसने की वजह बस कुछ मेरी पहचान होगी ©SAAHIL KUMAR

#कविता  White अनजाने में सही पर मेरी बातें भी कहीं होती तो होंगी, कहीं न कहीं मेरी झुठी ही सही पर मेरी भी कहानियांँ याद आती होंगी, कभी तो होंगी मेरी भी शिकायतें किसी के हंसने की वजह बस कुछ मेरी पहचान होगी

©SAAHIL KUMAR

अनजान

11 Love

White रातें बैठी है सुबह के इंतज़ारो में आँखें बंद रही निंद के इंतज़ारो में सपने भी रहे बस सपने पूरे होने के इंतज़ारो में अक्सर जिंदगी भी है बीत जाती सब ठीक करने के इंतज़ारो में ©SAAHIL KUMAR

#कविता  White रातें बैठी है सुबह के इंतज़ारो में आँखें बंद रही निंद के इंतज़ारो में सपने भी रहे बस सपने पूरे होने के इंतज़ारो में अक्सर जिंदगी भी है बीत जाती सब ठीक करने के इंतज़ारो में

©SAAHIL KUMAR

इंतजार

12 Love

White कल की सोच मैं आज को छोड़ चला अपने कल को संवारने की होड में आज को भुल चुका आज जो है हाथ खाली उन्हें कल की उम्मीदों के सहारे बांध चला कल को संवारने के लिए मैं आज को नाराज़ कर चला ©SAAHIL KUMAR

#कविता  White कल की सोच मैं आज को छोड़ चला अपने कल को संवारने की होड में आज को भुल चुका आज जो है हाथ खाली उन्हें कल की उम्मीदों के सहारे बांध चला कल को संवारने के लिए मैं आज को नाराज़ कर चला

©SAAHIL KUMAR

आज/कल

13 Love

White एक नज़्म है गुंजती जैसे किसी महफ़िल में जैसे लब्ज़ रह गए कम खुद की कहानियों में जैसे रहा इंतजार ता उम्र का बिता कुछ पलों में कभी ख़त्म न होने वाले अफसानों में वैसे ही बस हुँ भीड़ में कहीं गुमनाम सा सब कुछ नहीं बस मिल जाए एक पल ज़िन्दगी का क्युकी फिर से होना है मुझे गुमनाम किसी और की कहानियों में ©SAAHIL KUMAR

#कविता  White एक नज़्म है गुंजती जैसे किसी महफ़िल में जैसे लब्ज़ रह गए कम खुद की कहानियों में जैसे रहा इंतजार ता उम्र का बिता कुछ पलों में कभी ख़त्म न होने वाले अफसानों में वैसे ही बस हुँ भीड़ में कहीं गुमनाम सा सब कुछ नहीं बस मिल जाए एक पल ज़िन्दगी का क्युकी फिर से होना है मुझे गुमनाम किसी और की कहानियों में

©SAAHIL KUMAR

गुमनाम सा

7 Love

White मैं डुबा रहा उस नशे में जहां बर्दाश्त की हदें खत्म हो गई जाना चाहा उन्हीं रास्तों पर जहां हसरतें खुद को गुमनाम करने की हो गई मैं भी शायद लुट गया इतना की सब की ज़रूरतें खत्म हो गई ©SAAHIL KUMAR

#शायरी  White मैं डुबा रहा उस नशे में जहां बर्दाश्त की हदें खत्म हो गई जाना चाहा उन्हीं रास्तों पर जहां हसरतें खुद को गुमनाम करने की हो गई मैं भी शायद लुट गया इतना की सब की ज़रूरतें खत्म हो गई

©SAAHIL KUMAR

ख़त्म ही सही

7 Love

Trending Topic