सब्र करते है बहुत पर सब्र टूट जाता हैँ,
वो ख़बर मे रहने वाला शख्स,
किसी बेखबर से रूठ जाता हैँ,
इंतेज़ार रहता है हर वक़्त किसी आहट का,
कौन समझाए इस नादान दिल को,
की अब सब कुछ सफ़र मे छूट जाता हैँ,
रंजिशे रचते है ये ख़्वाब अब मेरे साथ कुनाल,
वो जल्दबाज़ी मे आने वाला जाने कहाँ रूक जाता हैँ,
नया दौर है सबकी अपनी अपनी कहानियाँ हैं,
कहना तो चाहता है वो दिल की बात,
पर कहीं ना कहीं चूक जाता हैँ,
आसान नहीं इतना इतने बोझो को सहन करना,
नेकी दिखाई है हद्द से ज्यादा,
तभी तो हर शख्स हमे लूट जाता हैँ.!
©Kunal Nayak
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