Alone
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दुनिया के मेले में सताया जायेगा तू अकेला चल वरना पछताएगा तू ये इश्क़ मोहब्बत के चोचलों से निकल जवानी के जुनू पे मर जायेगा तू होंगे सब तेरे आस पास जब तलक दौलतों के समंदर में नहायेगा तू गर्दिशों में आने तो दे सितारे तेरे बेतहाशा ख़ुद को तन्हा पायेगा तू इंसान उम्मीदों से कमजोर हुआ है कर बुलंद ख़ुद को जीत जायेगा तू ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#शायरी #alone  दुनिया के मेले में सताया जायेगा तू 
अकेला चल वरना पछताएगा तू 

ये इश्क़ मोहब्बत के चोचलों से निकल 
जवानी के जुनू पे मर जायेगा तू 

होंगे सब तेरे आस पास जब तलक 
दौलतों के समंदर में नहायेगा तू 

गर्दिशों में आने तो दे सितारे तेरे 
बेतहाशा ख़ुद को तन्हा पायेगा तू 

इंसान उम्मीदों से कमजोर हुआ है 
कर बुलंद ख़ुद को जीत जायेगा तू

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

#alone

16 Love

माझं नशीब इतकं खराब झालंय की जर मी एखादी स्मशानभूमी जरी राखायला घेतली तर माणसं मरायचीसुद्धा बंद होतील.. शब्दवेडा किशोर ©शब्दवेडा किशोर

#आयुष्याच्या_वाटेवर #मराठीकविता  माझं नशीब इतकं खराब झालंय की
जर मी एखादी स्मशानभूमी जरी
राखायला घेतली
तर माणसं मरायचीसुद्धा
बंद होतील..
शब्दवेडा किशोर

©शब्दवेडा किशोर

ये कैसा शख़्स है कितनी ही अच्छी बात कहो कोई बुराई का पहलू निकाल लेता है।।।।।। वसीम बरेलवी। मन से।। ©,

#wishes #alone  ये कैसा शख़्स है कितनी ही अच्छी बात कहो
कोई बुराई का पहलू निकाल लेता है।।।।।।














वसीम बरेलवी। 
मन से।।

©,

#alone

15 Love

कुछ ख़्वाब टूटे, कुछ ख़्वाब छुटे कहानी कई हैं, बताऊं किस बूते ये दुनिया अब काटे, किनारे को छांटे मै खुद में हूं सिमटा और मंजिल भी डांटे चले हो फतह करने, सिकंदर के जैसे कमर टेक बैठे, विपाशा के आगे चलो अब खड़े हो, कलम के सहारे कलम के सिपाही, क्यूं! हिम्मत हो हारे ये डर कैसा, है जो तुम्हे लग गया गर आंधी धारा पे, गगन छू के आ ये बातें भी सुन, जो तुम्हारे गढ़े अभी मंजिल आगे, इधर क्यों खड़े मै फिर से हंसा, और आंसु छिपा कुछ शब्द हैं गढ़े और फिर से लिखा कई रास्ते पे हैं, पत्थर बिछे क्या हस्ती है, अब वे गिरा दे मुझे जो अबकी गिरा तो फिर ऐसे उठूं तुम मानो, मैं शिव का पताका विजय ©Sanu Pandey

#कविता #Sanupoetry #emptiness #alone  कुछ ख़्वाब टूटे, कुछ ख़्वाब छुटे
कहानी कई हैं, बताऊं किस बूते
ये दुनिया अब काटे, किनारे को छांटे 
मै खुद में हूं सिमटा और मंजिल भी डांटे
चले हो फतह करने, सिकंदर के जैसे
कमर टेक बैठे, विपाशा के आगे
चलो अब खड़े हो, कलम के सहारे
कलम के सिपाही, क्यूं! हिम्मत हो हारे 
ये डर कैसा, है जो तुम्हे लग गया
गर आंधी धारा पे, गगन छू के आ
ये बातें भी सुन, जो तुम्हारे गढ़े
अभी मंजिल आगे, इधर क्यों खड़े
मै फिर से हंसा, और आंसु छिपा
कुछ शब्द हैं गढ़े और फिर से लिखा 
कई रास्ते पे हैं, पत्थर बिछे
क्या हस्ती है, अब वे गिरा दे मुझे
जो अबकी गिरा तो फिर ऐसे उठूं 
तुम मानो, मैं शिव का पताका विजय

©Sanu Pandey

#alone Vipasha-Beas River #emptiness #Sanupoetry

13 Love

#निर्भयता  जो मनुष्य अपने को शरीर भाव से ऊँचा उठा लेता है 
वह किसी से भयभीत नहीं होता ऐसे लोग विपत्तियों
 का सामना बड़ी आसानी से कर लेते हैं ऐसे लोग
 अपने हितों के लिए झूठ कपट बेईमानी का सहारा 
नहीं लेते जो व्यक्ति आत्मा की अमरता का विचार
 रखता है वह हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है... 
-वेद प्रकाश

©VED PRAKASH 73
#Life_experience #Emotional #muku2001 #Zindagi #Quotes #Quote  आज फिर किसी ने कुछ खोया होगा
 तो कोई दिल से रोया होगा, 
कुछ के अपने रूठे होगे 
तो हजारों के सपने टूटे होगे, 
पर अब इन हालातों में संभलना होगा 
फिर वक्त के साथ खुदको  
अपनो के लिए अब बदलना होगा !

©–Muku2001
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