हर साल ये रात आती है मेरी जिंदगी में , अकेला होने का अहसास करा जाती है जिंदगी में।
अच्छी जोड़ी थी जिन्दगी में जैसे चाँद और चकोर हो , चकोर चली गई अब जिन्दगी से ।
क्या क्या ख्वाब थे हमारे किस किस जगह मिले थे हम , क्या हुआ अब रह गया अकेला में जिन्दगी में ।
आज की रात अंधेरी नही काली रात है सब कुछ खत्म हो गया था
खुशी खुशी जिन्दगी में ।
क्या बचा मेरे पास उसके विदा होते समय वो अश्क ओर उसके वादे और उसकी जिन्दगी मे यादे ।।
सोच लिया था आज के दिन मेने अब हर हाल मे जीना है और उसको उम्र भर रोना है ।
अब वो किसी और का हमसफर है आज भी उसके लिये दिल मे तड़फ है ।
©sanjay Punia
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