बहिन
माँ की ममता, पापा का प्यार है,
आँगन की तुलसी,भाई की कलाई है।
कलेजे का टुकड़ा,रिश्तों की रौनक है,।।
बगैर इसके सुना सारा संसार है।।
रिश्तों की मिठास,फूलों की खुशबू है,
सबके लबों पर छाई मुस्कान है।
परिवार का सुकूँ,दिल का अरमां है
साथ इसके अपनों का अहसास है।।
दौर के साथ रिश्तें बदल रहे हो,
जो लिखे ही नहीं वो अल्फ़ाज़ पढ़ रहे हो।
बना के ख़ुद अपनों के बीच गैर उसे,
दहलीज़ पर उसके पदचाप ढूंढ रहे हो।।
खिंच लकीरें स्वार्थ की,रिश्तें बदल रहे हो,
करके बहाने हजार,उसका दिल दुखा रहे हो।
कर अपनी दहलीज़ से रूसवां उसे ,
त्योहार पर सुनी कलाई ताक रहे हो।।
दुआ है मेरी रिश्ता बहिन का बना रहें,
केवल आज ही क्यूँ खुदा की नेमत सदा रहे।
एक दूजे के लिए दिल में बसा प्यार रहें,
'गनी' मेरे दिल में ही क्यूँ सबके दिल मे ये सदा रहे।।
गनी खान
मुड़तरा सिली(जालोर)
©GANI KHAN
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