GANI KHAN

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#भामाशाह #कविता

#भामाशाह श्री रायचंदजी सोनी सुपत्र श्रीमती गीता बाई मनरूपजी सोनी मड़िया

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हड़ताल से धरने तक का, सफर आसां नहीं होता । कुछ तो समझिए हुजूर, बेवजह कभी बंद नहीं होता ।। बिल से कानून बनने का, सफर आसां नहीं होता । कुछ तो खामियाँ रही है ज़नाब, वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।। प्रदर्शन से चक्का जाम तक का, सफ़र आसां नहीं होता । सावधानी तो हटी होगी दोस्तों, वरना इतना बड़ा हादसा नहीं होता।। दिल के दर्द का अश्कों में बहने का, चिर कलेजा,दर्द का लबों पर आने का, सफ़र आसां नहीं होता । कुछ तो टूटे होंगे दिल ज़नाब वरना, वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।। घर से निकलकर फिर वापसी का, सफ़र आसां नहीं होता । राहे ज़िन्दगी में कुछ खोकर तलाशने का, सफ़र आसां नहीं होता । कुछ तो टूटी होगी इनकी भी उम्मीदें, वरना आम आदमी कभी सड़कों पर नहीं होता। जरा फिर से सोचो तो,बेवजह कभी बंद नहीं होता।। गनी खान मुड़तरा सिली(जालोर) राजस्थान 307803 मोबाइल 9461253663 ©GANI KHAN

#कविता #बंद  हड़ताल से धरने तक का,
सफर आसां नहीं होता ।
कुछ तो समझिए हुजूर,
बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

बिल से कानून बनने का,
सफर आसां नहीं होता ।
कुछ तो खामियाँ रही है ज़नाब,
वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

प्रदर्शन से चक्का जाम तक का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
सावधानी तो हटी होगी दोस्तों,
वरना इतना बड़ा हादसा नहीं होता।।

दिल के दर्द का अश्कों में बहने का,
चिर कलेजा,दर्द का लबों पर आने का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
कुछ तो टूटे होंगे दिल ज़नाब वरना,
वरना बेवजह कभी बंद नहीं होता ।।

घर से निकलकर फिर वापसी का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
राहे ज़िन्दगी में कुछ खोकर तलाशने का,
सफ़र आसां नहीं होता ।
कुछ तो टूटी होगी इनकी भी उम्मीदें,
वरना आम आदमी कभी सड़कों पर नहीं होता। 
जरा फिर से सोचो तो,बेवजह कभी बंद नहीं होता।।

गनी खान 
मुड़तरा सिली(जालोर)
राजस्थान 307803
मोबाइल 9461253663

©GANI KHAN

#बंद

6 Love

दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले, आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं। संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले, आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।। क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले, आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं। तारीखों पर एतबार करने वाले, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ, शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं। बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक, आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक। तमाम दलीलों को रख ताक पर, 'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। गनी खान, मुड़तरा सिली (जालोर) 9461253663 ©GANI KHAN

#कविता  दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले,
आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं।
संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले,
आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।।

क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले,
आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं।
तारीखों पर एतबार करने वाले,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ,
शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं।
बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक,
आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक।
तमाम दलीलों को रख ताक पर,
'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

गनी खान,
मुड़तरा सिली (जालोर)
9461253663

©GANI KHAN

# न्यू ईयर

6 Love

बहिन माँ की ममता, पापा का प्यार है, आँगन की तुलसी,भाई की कलाई है। कलेजे का टुकड़ा,रिश्तों की रौनक है,।। बगैर इसके सुना सारा संसार है।। रिश्तों की मिठास,फूलों की खुशबू है, सबके लबों पर छाई मुस्कान है। परिवार का सुकूँ,दिल का अरमां है साथ इसके अपनों का अहसास है।। दौर के साथ रिश्तें बदल रहे हो, जो लिखे ही नहीं वो अल्फ़ाज़ पढ़ रहे हो। बना के ख़ुद अपनों के बीच गैर उसे, दहलीज़ पर उसके पदचाप ढूंढ रहे हो।। खिंच लकीरें स्वार्थ की,रिश्तें बदल रहे हो, करके बहाने हजार,उसका दिल दुखा रहे हो। कर अपनी दहलीज़ से रूसवां उसे , त्योहार पर सुनी कलाई ताक रहे हो।। दुआ है मेरी रिश्ता बहिन का बना रहें, केवल आज ही क्यूँ खुदा की नेमत सदा रहे। एक दूजे के लिए दिल में बसा प्यार रहें, 'गनी' मेरे दिल में ही क्यूँ सबके दिल मे ये सदा रहे।। गनी खान मुड़तरा सिली(जालोर) ©GANI KHAN

#कविता  बहिन
माँ की ममता, पापा का प्यार है,
आँगन की तुलसी,भाई की कलाई है।
कलेजे का टुकड़ा,रिश्तों की रौनक है,।। 
बगैर इसके सुना सारा संसार है।।

रिश्तों की मिठास,फूलों की खुशबू है,
सबके लबों पर छाई मुस्कान है। 
परिवार का सुकूँ,दिल का अरमां है
साथ इसके अपनों का अहसास है।।

दौर के साथ रिश्तें बदल रहे हो,
जो लिखे ही नहीं वो अल्फ़ाज़ पढ़ रहे हो।
बना के ख़ुद अपनों के बीच गैर उसे,
दहलीज़ पर उसके पदचाप ढूंढ रहे हो।।

खिंच लकीरें स्वार्थ की,रिश्तें बदल रहे हो,
करके बहाने हजार,उसका दिल दुखा रहे हो।
कर अपनी दहलीज़ से रूसवां उसे ,
त्योहार पर सुनी कलाई ताक रहे हो।।

दुआ है मेरी रिश्ता बहिन का बना रहें, 
केवल आज ही क्यूँ खुदा की नेमत सदा रहे।
एक दूजे के लिए दिल में बसा प्यार रहें,
'गनी' मेरे दिल में ही क्यूँ सबके दिल मे ये सदा रहे।।

गनी खान 
मुड़तरा सिली(जालोर)

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बहिन

1 Love

और अंत में एक खामोशी इतनी बात करेगी तुमसे कि आँखे भीग आएंगी हर पहर.. दो बातें कर लो जो नसीब साथ है क्या पता फिर ये साथ, साथ हो न हो फिर कोई सुबह हो लेकिन उठने को जी न करे फिर रात हो पर नींद गुम हो आंखों से ये जो पल सुकूँ के बैठे हैं सँग जो गहराती सांसो सँग इन्हें पी जाओ हर लम्हा फिसलता रेत जैसे, कौन सम्हाले इन लम्हों को इन्हें, सुनो.. बस जी जाओ। ©GANI KHAN

#विचार  और अंत में 
एक खामोशी
इतनी बात करेगी तुमसे
कि आँखे भीग आएंगी 
हर पहर..
दो बातें कर लो
जो नसीब साथ है
क्या पता
फिर ये साथ,
साथ हो न हो 
फिर कोई सुबह हो
लेकिन 
उठने को जी न करे
फिर रात हो
पर नींद गुम हो आंखों से
ये जो पल
सुकूँ के
बैठे हैं सँग जो
गहराती सांसो सँग 
इन्हें पी जाओ
हर लम्हा
फिसलता रेत जैसे,
कौन सम्हाले
इन लम्हों को इन्हें,
सुनो..
बस जी जाओ।

©GANI KHAN

# अल्फ़ाज़

2 Love

मंजिल की राह चलकर भी गुमराह हो गये। चंद सिक्कें पाकर ईमान से गाफ़िल हो गये।। वक्त के साये नसीब ने दूरियाँ क्या बढ़ायी । 'गनी' यकीं की बात पर अपने भी ग़ैर हो गये।। ©GANI KHAN

#विचार  मंजिल की राह चलकर भी गुमराह हो गये।
चंद सिक्कें पाकर ईमान से गाफ़िल हो गये।।
वक्त के साये नसीब ने दूरियाँ क्या बढ़ायी ।
'गनी' यकीं की बात पर अपने भी ग़ैर हो गये।।

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विचार

4 Love

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