और अंत में एक खामोशी इतनी बात करेगी तुमसे कि आँखे | हिंदी विचार

"और अंत में एक खामोशी इतनी बात करेगी तुमसे कि आँखे भीग आएंगी हर पहर.. दो बातें कर लो जो नसीब साथ है क्या पता फिर ये साथ, साथ हो न हो फिर कोई सुबह हो लेकिन उठने को जी न करे फिर रात हो पर नींद गुम हो आंखों से ये जो पल सुकूँ के बैठे हैं सँग जो गहराती सांसो सँग इन्हें पी जाओ हर लम्हा फिसलता रेत जैसे, कौन सम्हाले इन लम्हों को इन्हें, सुनो.. बस जी जाओ। ©GANI KHAN"

 और अंत में 
एक खामोशी
इतनी बात करेगी तुमसे
कि आँखे भीग आएंगी 
हर पहर..
दो बातें कर लो
जो नसीब साथ है
क्या पता
फिर ये साथ,
साथ हो न हो 
फिर कोई सुबह हो
लेकिन 
उठने को जी न करे
फिर रात हो
पर नींद गुम हो आंखों से
ये जो पल
सुकूँ के
बैठे हैं सँग जो
गहराती सांसो सँग 
इन्हें पी जाओ
हर लम्हा
फिसलता रेत जैसे,
कौन सम्हाले
इन लम्हों को इन्हें,
सुनो..
बस जी जाओ।

©GANI KHAN

और अंत में एक खामोशी इतनी बात करेगी तुमसे कि आँखे भीग आएंगी हर पहर.. दो बातें कर लो जो नसीब साथ है क्या पता फिर ये साथ, साथ हो न हो फिर कोई सुबह हो लेकिन उठने को जी न करे फिर रात हो पर नींद गुम हो आंखों से ये जो पल सुकूँ के बैठे हैं सँग जो गहराती सांसो सँग इन्हें पी जाओ हर लम्हा फिसलता रेत जैसे, कौन सम्हाले इन लम्हों को इन्हें, सुनो.. बस जी जाओ। ©GANI KHAN

# अल्फ़ाज़

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