दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले, आज फिर कैलेंडर बदलने | हिंदी कविता

"दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले, आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं। संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले, आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।। क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले, आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं। तारीखों पर एतबार करने वाले, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ, शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं। बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक, आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक। तमाम दलीलों को रख ताक पर, 'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। गनी खान, मुड़तरा सिली (जालोर) 9461253663 ©GANI KHAN"

 दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले,
आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं।
संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले,
आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।।

क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले,
आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं।
तारीखों पर एतबार करने वाले,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ,
शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं।
बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर,
आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक,
आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक।
तमाम दलीलों को रख ताक पर,
'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।।

गनी खान,
मुड़तरा सिली (जालोर)
9461253663

©GANI KHAN

दिन ,मास के पन्ने बदलने वाले, आज फिर कैलेंडर बदलने वाले हैं। संस्कृति रवायतों का दम भरने वाले, आज फिर थर्टी फर्स्ट मनाने वाले हैं।। क्षणिक अय्याशियों के शौक वाले, आज फिर पाश्यात्य होने वाले हैं। तारीखों पर एतबार करने वाले, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। अदब-मर्यादाओं की तोड़ बेडियाँ, शहरों की गलियाँ रंगीन होने वाली हैं। बहकतें कदमों से महफ़िल सजाकर, आज न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। संस्कृति-सभ्यता के चंद रक्षक, आज बनेगे देखो तहज़ीब के भक्षक। तमाम दलीलों को रख ताक पर, 'गनी'आज फिर न्यू ईयर मनाने वाले हैं।। गनी खान, मुड़तरा सिली (जालोर) 9461253663 ©GANI KHAN

# न्यू ईयर

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