तेरी आजमाइश से हु बेखबर
यह मेरी नज़र का कसूर है,
तेरी राह में कदम कदम पर
कही अर्श है कही तूर है।
यह बजा हैं मालिक दो जहा,
मेरी बंदगी एक फितूर है...
यह बता मै तुझसे मिलू कहा,
मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है!
मेरी बख्श दे मालिक हर खाता
तू गफूर है तू रहीम है...
©Saeed Anwar
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