Saeed Anwar

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#शायरी #TereHaathMein  तोड़ डालो उम्मीदों का गुरूर
ध्वस्त कर दो सपनों के मकान
पाई-पाई नोंच लो कमाई की
बुलडोजर से रौंदकर दो इनाम

लटका दो ताले न्यायालय पर
हर इंसाफ अब बुलडोज होगा
जब नई नस्लें आयेंगी हमारी
शर्म उनको हम सब पर होगा

कहना हम चुप थे क्योंकि
ये ‘उनका’ था मकान
मजा आ रहा था हमें
मर चुका था ईमान.... !!!!

©Saeed Anwar

#TereHaathMein

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चल के तेरे रास्तों पे अपना अंजाम करना है मुझे तो अब तेरे शहर ही कयाम करना है। बना के जो रखना है एक तुझी से वास्ता इसी गर्ज में दुनियां से हर ताल्लुक नाकाम करना है। मेरे दिल में तो तुम हो, तुम्हीं हो बस मैंने तेरे दिल में अपना मकाम करना है। और बहुत डर लिया दुनियां से अब नहीं डरना मुझे ईश्क बेतहसा तुझे सरेआम करना है..!! ©Saeed Anwar

#शायरी #hands  चल के तेरे रास्तों पे अपना अंजाम करना है
मुझे तो अब तेरे शहर ही कयाम करना है।

बना के जो रखना है एक तुझी से वास्ता
इसी गर्ज में दुनियां से हर ताल्लुक नाकाम करना है।

मेरे दिल में तो तुम हो, तुम्हीं हो
बस मैंने तेरे दिल में अपना मकाम करना है।

और बहुत डर लिया दुनियां से अब नहीं डरना
मुझे ईश्क बेतहसा तुझे सरेआम करना है..!!

©Saeed Anwar

#hands

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तेरी आजमाइश से हु बेखबर यह मेरी नज़र का कसूर है, तेरी राह में कदम कदम पर कही अर्श है कही तूर है। यह बजा हैं मालिक दो जहा, मेरी बंदगी एक फितूर है... यह बता मै तुझसे मिलू कहा, मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! मेरी बख्श दे मालिक हर खाता तू गफूर है तू रहीम है... ©Saeed Anwar

#शायरी #baarish  तेरी आजमाइश से हु बेखबर
यह मेरी नज़र का कसूर है,

तेरी राह में कदम कदम पर 
कही अर्श है कही तूर है।

यह बजा हैं मालिक दो जहा, 
मेरी बंदगी एक फितूर है...

यह बता मै तुझसे मिलू कहा,
मुझे मिलना तुझसे ज़रूर है! 

मेरी बख्श दे मालिक हर खाता
 तू गफूर है तू रहीम है...

©Saeed Anwar

#baarish

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हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते !! अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते !! रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था तुम तो दरिया थे मेरी प्यास बुझाते जाते मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद लोग हँसते हैं मुझे देख के आते जाते !! हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते ©Saeed Anwar

#शायरी #FindingOneself  हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते 
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते 

अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है 
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते !!

अब के मायूस हुआ यारों को रुख़्सत कर के 
जा रहे थे तो कोई ज़ख़्म लगाते जाते !!

रेंगने की भी इजाज़त नहीं हम को वर्ना 
हम जिधर जाते नए फूल खिलाते जाते 

मैं तो जलते हुए सहराओं का इक पत्थर था 
तुम तो दरिया थे मेरी प्यास बुझाते जाते 

मुझ को रोने का सलीक़ा भी नहीं है शायद 
लोग हँसते हैं मुझे देख के आते जाते !!

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे 
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

©Saeed Anwar

वो शाम तो मुझे याद नहीं पर मुझे याद है मेरे हाथों में तेरा हाथ आज भी है.. मुझे याद है वो हर लम्हे में महसूस होता तेरा साथ आज भी है। मेरे होंठो को तेरी गालों की नरमी का अहसास आज भी है। मेरे सांसों को लगता है तू मेरे पास आज भी है। वो मेरा हाथ पकड़ते ही तेरा यूं बेफिक्र हो जाना.. वो मुझसे निगाहें मिलाते ही तेरा यूं बेजिक्र हो जाना। वो मेरे लिए उठी थी उस दिन वो तेरी हर एक नज़र याद है मुझे.. वो मेरी उंगलियों ने जो किया था तेरी मुलायम जुल्फों का वो सफ़र याद है मुझे.. वो हर एक लम्हा वो हर मंज़र वो गुस्ताखी वो हर एक जुर्रत वो आरजू वो हर गुफ्तगू वो हर ईश्क का पल जो तेरे साथ जिया था याद है मुझे तो फ़िर क्या फ़र्क पड़ता है अगर वो शाम मुझे याद नहीं.. ©Saeed Anwar

#शायरी #diary  वो शाम तो मुझे याद नहीं
पर मुझे याद है मेरे हाथों में तेरा हाथ आज भी है.. 
मुझे याद है वो हर लम्हे में महसूस होता तेरा साथ आज भी है। 
मेरे होंठो को  तेरी गालों की नरमी का अहसास आज भी है।
मेरे सांसों को लगता है  तू मेरे पास आज भी है।
वो मेरा हाथ पकड़ते ही तेरा यूं बेफिक्र हो जाना..
वो मुझसे निगाहें मिलाते ही तेरा  यूं बेजिक्र हो जाना।
वो मेरे लिए उठी थी उस दिन 
वो तेरी हर एक नज़र याद है मुझे..  
वो मेरी उंगलियों ने जो किया था  तेरी मुलायम जुल्फों का 
वो सफ़र याद है मुझे..
वो हर एक लम्हा  वो हर मंज़र
वो गुस्ताखी  वो हर एक जुर्रत  वो आरजू  वो हर गुफ्तगू  
वो हर ईश्क का पल  जो तेरे साथ जिया था  याद है मुझे 
तो फ़िर क्या फ़र्क पड़ता है अगर वो शाम मुझे याद नहीं..

©Saeed Anwar

#diary

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चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए मैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए मंज़िलो तुम ही कुछ आगे की तरफ़ बढ़ जाओ रास्ता कम है मेरे पाँव को चलने के लिए ज़िंदगी अपने सवारों को गिराती जब है एक मौक़ा भी नहीं देती सँभलने के लिए मैं वो मौसम जो अभी ठीक से छाया भी नहीं साज़िशें होने लगीं मुझ को बदलने के लिए वो तेरी याद के शोले हों कि एहसास मिरे कुछ न कुछ आग ज़रूरी है पिघलने के लिए ये बहाना तेरे दीदार की ख़्वाहिश का है हम जो आते हैं इधर रोज़ टहलने के लिए आँख बेचैन तेरी एक झलक की ख़ातिर दिल हुआ जाता है बेताब मचलने के लिए ©Saeed Anwar

#शायरी #mentalhealthday  चाँद में ढलने सितारों में निकलने के लिए 
मैं तो सूरज हूँ बुझूँगा भी तो जलने के लिए 

मंज़िलो तुम ही कुछ आगे की तरफ़ बढ़ जाओ 
रास्ता कम है मेरे पाँव को चलने के लिए 

ज़िंदगी अपने सवारों को गिराती जब है 
एक मौक़ा भी नहीं देती सँभलने के लिए
 
मैं वो मौसम जो अभी ठीक से छाया भी नहीं 
साज़िशें होने लगीं मुझ को बदलने के लिए
 
वो तेरी याद के शोले हों कि एहसास मिरे 
कुछ न कुछ आग ज़रूरी है पिघलने के लिए 

ये बहाना तेरे दीदार की ख़्वाहिश का है 
हम जो आते हैं इधर रोज़ टहलने के लिए 

आँख बेचैन तेरी एक झलक की ख़ातिर 
दिल हुआ जाता है बेताब मचलने के लिए

©Saeed Anwar
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