ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया, ये इंसान | हिंदी P

"ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया, ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया, ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . जवानी भटकती हैं बदकार बन कर जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है  जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है   ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया जला दो, जला दो, जला दो जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . ©Saeed Anwar"

 ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया,
ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया,
ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया,
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी
निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी
ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .


यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती
ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती
यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जवानी भटकती हैं बदकार बन कर
जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर
यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है
वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है 
जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है  
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
जला दो, जला दो, जला दो
जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया

ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है .

©Saeed Anwar

ये  महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया, ये इंसान के दुश्मन समाजों की दुनिया, ये दौलत के भूखे रवाजों की दुनिया, ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . हर इक जिस्म घायल, हर इक रूह प्यासी निगाहों में उलझन, दिलों में उदासी ये दुनिया है या आलम-ए-बदहवासी ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . यहाँ इक खिलौना है इसां की हस्ती ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों  की बस्ती यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . जवानी भटकती हैं बदकार बन कर जवान जिस्म सजते है बाज़ार बन कर यहाँ प्यार होता है व्योपार  बन कर ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . ये दुनिया जहाँ आदमी कुछ नहीं है वफ़ा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है  जहाँ प्यार की कद्र कुछ नहीं है   ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया जला दो, जला दो, जला दो जला दो इसे फूक डालो ये दुनिया मेरे सामने से हटा लो ये दुनिया तुम्हारी है तुम ही संभालो ये दुनिया ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है . ©Saeed Anwar

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