यू चुप चुप, ना रहा करो ।
कुछ कहेनें का हो , वो कहा करो।
हम गुस्सा ना जा हो जाए , इस बात से न डरा करो।
जो भी कहना हो, वो कहा करो।
कर के बंद आंखो को अपनी, हमको अपनी बाहों में भरा करो।
और फिर अपने दिल की, हर बात हमसे किया करो।
लेकिन,यू चुप चुप न रहा करो।
कि तेरा ये चुप रहना , हमारे मन को न भाता है।
न जाने क्यों चुप हो, ये सोच के ,हमारा चैन सुकून छिन जाता है ।
इसलिए यू चुप चुप ना रहा करो।
जो भी कहना हो, वो कहा करो।
©दिल की आवाज़ Aakash chhipne
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