ये मौसम और ये तन्हाई, ना जाने हमसे ,किस बात की है | हिंदी शायरी

"ये मौसम और ये तन्हाई, ना जाने हमसे ,किस बात की है बुराई। लगता है दोनो ने , हमको सताने की कसम है खाई। अब तो इस दिल से निकलती है , बस ये दुहाई। न जाने कब ख़त्म होगी ये जुदाई । ©दिल की आवाज़ Aakash chhipne"

 ये मौसम और ये तन्हाई, ना जाने हमसे ,किस बात की है बुराई।
लगता है दोनो ने , हमको सताने की कसम है खाई।
अब तो इस दिल से निकलती है , बस ये दुहाई।
न जाने कब ख़त्म होगी ये जुदाई ।

©दिल की आवाज़ Aakash chhipne

ये मौसम और ये तन्हाई, ना जाने हमसे ,किस बात की है बुराई। लगता है दोनो ने , हमको सताने की कसम है खाई। अब तो इस दिल से निकलती है , बस ये दुहाई। न जाने कब ख़त्म होगी ये जुदाई । ©दिल की आवाज़ Aakash chhipne

#rain

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