Dhiraj Kumar

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शायर, कवि Medical student

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White जुगनुओं का विद्रोह कितना भी प्रबल हो जंगल नहीं जला सकता। ©Dhiraj Kumar

#विचार #good_night  White जुगनुओं का विद्रोह कितना भी प्रबल हो
जंगल नहीं जला सकता।

©Dhiraj Kumar

#good_night

17 Love

White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, दिन की शुरुआत होती थी हठखेलियों से जहाँ। बारिश के बहाव में कागज के नाव चल जाते थे, दिवाली की सफाई में खोये खिलौने मिल जाते थे। मोल भाव के खेल में अपनत्व का मिलाप हो जाता था, तनिक परेशानी पर आसमान सिर उठाने वाला विलाप हो जाता था।। ©Dhiraj Kumar

#शायरी #love_shayari  White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, 
दिन की शुरुआत होती थी हठखेलियों से जहाँ। 
बारिश के बहाव में कागज के नाव चल जाते थे,
दिवाली की सफाई में खोये खिलौने मिल जाते थे। 
मोल भाव के खेल में अपनत्व का मिलाप हो जाता था, 
तनिक परेशानी पर आसमान सिर उठाने वाला विलाप हो जाता था।।

©Dhiraj Kumar

#love_shayari

13 Love

#love_shayari #Quotes  White फातिहा पढ़ो तुम मेरे उन अरमानों पर...
जिनकी ताबीर सिर्फ तुम्हारी ख्वाहिशें हुआ करती थीं।

©Dhiraj Kumar

#love_shayari

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#rain  बारिश कल रात आसमान से गुफ्तगू कर बैठा 
मैं तो शांत हूं, पर बेचारा वो तब से ही बरस रहा

©Dhiraj Kumar

#rain

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#Quotes  बिखरे जो जज़्बात तो क्या हुआ 
अब भी तो जान बाकी है 
मोहब्बत परवान चढ़ेगी फिर से 
मन तो फौलादी ठीक वैसे जैसे खाकी है

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#Love

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#love_shayari  White तेरी मुस्कान निराली, तेरी चाल निराली 
निराली तेरी अदायें।
पग पग फिरूं मन मस्त मगन में,
जो तू तनिक हम पर ध्यान लगाये।
एहसास है तेरी आभा में, तेरी मनमोहक अंखियों में 
गदगदा उठे मन मेरा,जो तू तनिक हम से बतियाये।।

©Dhiraj Kumar

#love_shayari

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