White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, दिन की शुरुआत ह | हिंदी शायरी

"White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, दिन की शुरुआत होती थी हठखेलियों से जहाँ। बारिश के बहाव में कागज के नाव चल जाते थे, दिवाली की सफाई में खोये खिलौने मिल जाते थे। मोल भाव के खेल में अपनत्व का मिलाप हो जाता था, तनिक परेशानी पर आसमान सिर उठाने वाला विलाप हो जाता था।। ©Dhiraj Kumar"

 White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, 
दिन की शुरुआत होती थी हठखेलियों से जहाँ। 
बारिश के बहाव में कागज के नाव चल जाते थे,
दिवाली की सफाई में खोये खिलौने मिल जाते थे। 
मोल भाव के खेल में अपनत्व का मिलाप हो जाता था, 
तनिक परेशानी पर आसमान सिर उठाने वाला विलाप हो जाता था।।

©Dhiraj Kumar

White खो गये वो बचपन के दिन कहाँ, दिन की शुरुआत होती थी हठखेलियों से जहाँ। बारिश के बहाव में कागज के नाव चल जाते थे, दिवाली की सफाई में खोये खिलौने मिल जाते थे। मोल भाव के खेल में अपनत्व का मिलाप हो जाता था, तनिक परेशानी पर आसमान सिर उठाने वाला विलाप हो जाता था।। ©Dhiraj Kumar

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