White मैं और मेरी आवारगी, जैसे कोई कहानी हो।
हर इक सफ़र पर मेरा, इक नई निशानी हो।
कभी तारों में खो गया, कभी चांद से बातें कीं!
कभी दिल ने चाहा मुझे, तो कभी अनजानी हो।
वफ़ा से जब दूर चला, रूठे दिल को समझा कर!
मगर हर मोड़ पे यादों की, कहानी ही कहानी हो।
हवाओं में बहकाता हूँ, जैसे खुश्बू का झोंका हूँ!
कभी बादल, कभी बारिश, जैसे आंखों का पानी हो।
कभी मंज़िल नज़र आई, कभी रास्ता भटक गया!
मैं और मेरी आवारगी, जैसे किस्मत की निशानी हो।
©महज़
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