White बार बार मुझको याद सताती है।
जवानी में बचपन याद आती है।
खेल का शौक आज भी है बहुत।
पर अब ज़िम्मेदारी खेल जाती है।
बचपन की वो मस्ती लुभाती है!
मगर अब तो फुर्सत भी डराती है।
थी धूप में हंसने की आदत कभी!
अब छांव भी आंखें जलाती है।
सपनों के पीछे थे भागा किए!
अब तो हकीकत ही दौड़ाती है।
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश!
यादों की बारिश भिगो जाती है।
©महज़
#Thinking