Anil Sapkal

Anil Sapkal Lives in Navi Mumbai, Maharashtra, India

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White अनिल सपकाळ ८८७९१३८६८६ अनिल ©Anil Sapkal

#मराठीशायरी #मराठीप्रेम #कविता #शायरी #गझल  White अनिल सपकाळ 
८८७९१३८६८६














अनिल

©Anil Sapkal

पिता का धड़कता दिल है बेटी पिता के खुशियोंकी तस्वीर हैं बेटी। कौन कहता है कि बोझ है बेटी सच कहूं तो पिता की तकदीर है बेटी।। अनिल सपकाळ ८८७९१३८६८६ ©Anil Sapkal

#हिंदी #कविता  पिता का धड़कता दिल है बेटी
पिता के खुशियोंकी तस्वीर हैं बेटी।
कौन कहता है कि बोझ है बेटी 
सच कहूं तो पिता की तकदीर है बेटी।।




















                                                                    अनिल सपकाळ 
                                                                    ८८७९१३८६८६

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बेटी #हिंदी कविता# प्रेरणादायी कविता हिंदी# प्यार पर कविता# कविता कोश# कविताएं#daughters

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गांधी का मरत नाही..# मराठी कविता#gandhi #गांधी #History # मराठी कविता संग्रह

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थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं । ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है  आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।। जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है। अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।। अनिल ©Anil Sapkal

#कविता #foryoupapa  थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है 
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।


जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।










अनिल

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#foryoupapa पिता जीवन का संगीत है, पिता हैं तो जित है ll # कविता कोश# प्यार पर कविता# हिंदी कविता# कविताएं# प्रेरणादायी कविता हिंदी

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White जीवनाच्या प्रवासात बरच काही जमवलय सुख, चैन, उसंत असं खूप काही गमवलय... अनिल सपकाळ ©Anil Sapkal

#मराठीविचार  White जीवनाच्या प्रवासात 
बरच काही जमवलय 
                                    
                                 सुख, चैन, उसंत असं 
                                 खूप काही गमवलय...






                                                                अनिल सपकाळ

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कुंचल्यांच्या रेशामधूनी चित्र चितारताना  क्षितिजाच्या पलिकडे कल्पनेत रमताना कातरवेळी जोजवत राहतो उनाड त्या दुखःना  त्या आठवणींचा पान्हा झर झर झरताना.... अनिल ©Anil Sapkal

#मराठीकविता  कुंचल्यांच्या रेशामधूनी चित्र चितारताना 

क्षितिजाच्या पलिकडे कल्पनेत रमताना

कातरवेळी जोजवत राहतो उनाड त्या दुखःना 

त्या आठवणींचा पान्हा झर झर झरताना....















अनिल

©Anil Sapkal

आठवणींचा पान्हा...

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