"टूटा आशिक "
चले थे मुहब्बत की गलियों में,
लीखी थी मैंने भी,
दास्तान प्यार की,,
जन्नत सा लगा था ये जहां,
जब होती थी ,
वो मेरे यहां..
पर एक रोज कितना भी मनाया उसे,
वो दिल शीशे
सा तोड़ गई।
मैं था अश्कों में डूबा हुआ,
और तन्हा मुझे
वो छोड़ गई।
सोचा था साथ साथ रहेंगे हमेशा,
पर राह वो अपना मोड़ गई।
बेवफा तो नहीं थी वो,
पर मां पापा के लिए रिश्ता
औरों से जोड़ गई।
मुहब्बत तो उसने भी की थी,
और मैंने भी,
ये तो किस्मत का कुसूर है,
जो हमदोनों की बाते,
बनते बनते ही बिगड़ गई।
©anjana wrighter
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here