अल्फाज़ मेरे कुछ बिखरे है,
समेट भी लूं तो काफी है ।
यादों के कुछ चिल्लर सी,
रख पाऊं तो काफी है ।
कुछ बेअक्ल सी बाते हैं,
भूल भी जाऊं तो काफी है ,
गलतफहमी का सफर है,
कुछ ठीक भी हो तो काफी है ।
- तनमय उकिल
अल्फाज़ मेरे कुछ बिखरे है,
समेट भी लूं तो काफी है ।
यादों के कुछ चिल्लर सी,
रख पाऊं तो काफी है ।
कुछ बेअक्ल सी बाते हैं,
भूल भी जाऊं तो काफी है ,
गलतफहमी का सफर है,
कुछ ठीक भी हो तो काफी है ।
- तनमय उकिल
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तेरी शहादत मुझे कभी ना भूलेगी।
तेरी लहू से लिखी हर बात इस सर ज़मीं को,
हमेशा चूमेगी।
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