अल्फाज़ मेरे कुछ बिखरे है, समेट भी लूं तो काफी है | हिंदी Shayari
"अल्फाज़ मेरे कुछ बिखरे है,
समेट भी लूं तो काफी है ।
यादों के कुछ चिल्लर सी,
रख पाऊं तो काफी है ।
कुछ बेअक्ल सी बाते हैं,
भूल भी जाऊं तो काफी है ,
गलतफहमी का सफर है,
कुछ ठीक भी हो तो काफी है ।
- तनमय उकिल"
अल्फाज़ मेरे कुछ बिखरे है,
समेट भी लूं तो काफी है ।
यादों के कुछ चिल्लर सी,
रख पाऊं तो काफी है ।
कुछ बेअक्ल सी बाते हैं,
भूल भी जाऊं तो काफी है ,
गलतफहमी का सफर है,
कुछ ठीक भी हो तो काफी है ।
- तनमय उकिल