कभी चाय की उन चुस्कियों मे, खुद के अक्स तराशते थे | हिंदी Shayari

"कभी चाय की उन चुस्कियों मे, खुद के अक्स तराशते थे । आज अक्स भी है आैर चाय भी, पर प्याली मे वो बात नही । - तनमय उकिल"

 कभी चाय की उन चुस्कियों  मे,
खुद के अक्स तराशते थे ।
आज अक्स भी है
आैर चाय भी,
पर प्याली मे वो बात नही ।

                   
                      - तनमय उकिल

कभी चाय की उन चुस्कियों मे, खुद के अक्स तराशते थे । आज अक्स भी है आैर चाय भी, पर प्याली मे वो बात नही । - तनमय उकिल

#chai_love

People who shared love close

More like this

Trending Topic