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madical student
जो इल्ज़ाम बाकी रह गया हो___ वो मेरे कफ़न पर लिख जाना___ ©कवि आदित्य बजरंगी
कवि आदित्य बजरंगी
14 Love
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बेखबर होने लगे हो आजकल चैन से सोने लगे हो आजकल जख्म कोई गहरा मिला है क्या हर घड़ी रोने लगे हो आजकल हो गई है फूलो से क्यों दुश्मनी जो कांटे बोने लगे हो आजकल आंँसुओं का नल खुला ही रहता है किस की यादें धोने लगे हो आजकल "आदित्य" आज कल कुछ उखड़े हुए रहते हो तुम भी दिल पे क्या क्या ढोने लगे हो आजकल ©कवि आदित्य बजरंगी
16 Love
में पागल हो जाऊ इतना प्यार दें मुझे में बहुत बिगाड़ा हूँ थोड़ा संवार दें मुझे तेरी ये दूरिया मुझे अधमारा कर देंगी " आदित्य " इससे बेहतर हैं कि मार दे मुझे ©कवि आदित्य बजरंगी
15 Love
पूरी उम्र तेरी यादों को भुलाना भी नहीं है, जब के तुम्हें तो लौटकर आना भी नहीं है, ग़म अपना जमाने को दिखाना भी नहीं है रोना तो है मगर अश्क़ बहाना भी नहीं है, भर जाए किसी गैर की चाहत के भरम में ये जख़्म अभी यूँ इतना पुराना भी नहीं है, ये कहते हुए दिल में चला आता है हर ग़म तेरे सिवा अपना कोई ठिकाना भी नहीं है, ©कवि आदित्य बजरंगी
11 Love
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