पूरी उम्र तेरी यादों को भुलाना भी नहीं है, जब के त | हिंदी Sad

"पूरी उम्र तेरी यादों को भुलाना भी नहीं है, जब के तुम्हें तो लौटकर आना भी नहीं है, ग़म अपना जमाने को दिखाना भी नहीं है रोना तो है मगर अश्क़ बहाना भी नहीं है, भर जाए किसी गैर की चाहत के भरम में ये जख़्म अभी यूँ इतना पुराना भी नहीं है, ये कहते हुए दिल में चला आता है हर ग़म तेरे सिवा अपना कोई ठिकाना भी नहीं है, ©कवि आदित्य बजरंगी"

 पूरी उम्र तेरी यादों को भुलाना भी नहीं है,
जब के तुम्हें तो लौटकर आना भी नहीं है,

ग़म अपना जमाने को दिखाना भी नहीं है
रोना तो है मगर अश्क़ बहाना भी नहीं है,

भर जाए किसी गैर की चाहत के भरम में
ये जख़्म अभी यूँ इतना पुराना भी नहीं है,

ये कहते हुए दिल में चला आता है हर ग़म
तेरे सिवा अपना कोई ठिकाना भी नहीं है,

©कवि आदित्य बजरंगी

पूरी उम्र तेरी यादों को भुलाना भी नहीं है, जब के तुम्हें तो लौटकर आना भी नहीं है, ग़म अपना जमाने को दिखाना भी नहीं है रोना तो है मगर अश्क़ बहाना भी नहीं है, भर जाए किसी गैर की चाहत के भरम में ये जख़्म अभी यूँ इतना पुराना भी नहीं है, ये कहते हुए दिल में चला आता है हर ग़म तेरे सिवा अपना कोई ठिकाना भी नहीं है, ©कवि आदित्य बजरंगी

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