White तुम सफल हो , तुम असफल हो ,
तुम मतलबी हो , तुम भावविहीन हो ,
तुम बहुत इमोशनल हो
तुम महत्वाकांक्षी हो
तुम्हारा कोई लक्ष्य नहीं है
तुम अंतर्मुखी हो
तुम बहुत बोलते हो ।
किसने बनाई यह परिभाषाएं ?
किसने बनाई यह लिस्ट जिसमें फिट होकर तुम्हारी कोई पहचान बन सके ?
तुम जैसे पैदा हुए हो, तुम जैसे हो यह तुम्हारी पहचान क्यों नहीं है ?
यह पहचान किसी को स्वीकार्य क्यों नहीं है?
पता है क्यों ? ? ....
क्योंकि यह खुद तुम्हें स्वीकार्य नहीं है ।
तुमने जोड़ रखा है हर दूसरी स्थिति को हर दूसरे इंसान को
खुद की पहचान से
और भाग रहे हो उस मृगतृष्णा की तरह जो
खुद की नाभि में छिपी कस्तूरी को ढूंढने दर-दर भटक रहा है ।
रुको,,,, पहचानो खुद को,,
तुम्हारी खुशबू तुम्हारे पास ही है ।
तुम जो हो तुम जैसे हो बेस्ट हो ।।
मुझे तुम पर यकीन है ।
क्या तुम्हें खुद पर यकीन है ??
"आदर्श मिश्र"
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©Gautam ADARSH Mishra
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