White मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ जाएंगे,,,,
तुम्हारे पास जितना है हम उतना छोड़ जाएंगे,
कहानी का ये हिस्सा आज तक सब से छुपाया है,
कि हम मिट्टी की ख़ातिर अपना सोना छोड़ जायेंगे,
किसी की आरज़ू के पांवों में ज़ंजीर डाली है,
किसी की ऊन की तीली में फंदा छोड़ जाएंगे,
वो बरगद जिसके पेड़ों से महक आती है फूलों की,
उसी बरगद में एक हरियल का जोड़ा छोड़ जाएंगे,
महल से दूर बरगद के तले शांन्ति के खातिर,
थके हारे हुए गौतम को बैठा छोड़ जाएंगे।
हमारा रास्ता तकते हुए पथरा जाएंगी,
वो आंखे जिन्हें खिड़की पे रखा छोड़ जाएंगे ,
सुकून ए आखिरी पल तिश्नगी खातिर
हम अपनी झील में एक चांद उतरा छोड़ जाएंगे,
😊"आदर्श"
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©Gautam ADARSH Mishra
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