जिसका स्वरूप चांद सा है,
नयन जिसके कमल भांति है,
शरीर जिसका फूलो सा कोमल,
सूरज की स्वर्णिम लाली जैसे होठ है।
रूप चमत्कारी ऐसा, जिसपे मोहित हो जाए संसार है।
ऐसी मोहिनी छवि जैसे मेरे प्रभु श्री राम है।
विपत्ति में भी जो है हंसते,
हनुमंत के हृदय में बसते,
तीन माताओं की आंख के तारे श्री राम है।
ऐसी मोहिनी छवि जैसे.......
दसरथ के राजदुलारे
अयोध्या के प्राणन प्यारे
वचन के ऐसे है कर्मठ,
जो आज्ञा दी मात ने तो ,
सब कुछ त्याग बन जाने को तैयार है,
ऐसे मोहनी छवि के जैसे मर्यादा पुरषोत्तम श्री राम है।
सबरी के जो झूठे बेर खाए,
केवट को जो पार लगाए,
श्रापित शिला को भी नारी बनाए,
ऐसी मोहिनी छवि वाले रघुनंदन श्री राम है।
तोड़ धनुष ब्याह लाए जानकी को,
मिथिला के जमाई श्री राम है,
ऐसी मोहिनी छवि जैसे मेरे प्रभु श्री राम है।
©Sakshi Shankhdhar
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