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मैं हवा हूं
White सफ़र ऐ ज़िंदगी की मुलाकात में कोई मिले ना मिले .....बस खुद से मुलाक़ात होनी चाहिए। लोग आते जाते रहेंगे......मुझे बस मैं से मिलना चाहिए । और दुनिया की ओझापन मे कोई पहचान नहीं आता..... पर इस सफ़र में मुझे बस मेरी पहचान होनी चाहिए।। ©Dr.Gajendra kumar yadav
Dr.Gajendra kumar yadav
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खुद का कुरेदा घाव है ये दर्द यूंही रहेगा ना निशान मिटेगा और ना ही घाव सूखेगा।। ©Dr.Gajendra kumar yadav
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उस ठहराव में सुकून बहुत था....पर निरंतरता नही थी...सब कुछ रुका रुका सा था..... और मैने निरंतरता को चुना ....जो की आसान नहीं था .....क्यों कि मैं तो हवा हूं ना कभी रुका हूं ना कभी रुकूंगा।। ©Dr.Gajendra kumar yadav
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