तूफ़ान बहुत है ........मन में उफान बहुत है। पर दाय | हिंदी कविता

"तूफ़ान बहुत है ........मन में उफान बहुत है। पर दायरा खीच रखा है मैंने......क्यों की बरबादी से अवगत हूं मैं।। ©Dr.Gajendra kumar yadav"

 तूफ़ान बहुत है ........मन में उफान बहुत है।
पर दायरा खीच रखा है मैंने......क्यों की बरबादी से अवगत हूं मैं।।

©Dr.Gajendra kumar yadav

तूफ़ान बहुत है ........मन में उफान बहुत है। पर दायरा खीच रखा है मैंने......क्यों की बरबादी से अवगत हूं मैं।। ©Dr.Gajendra kumar yadav

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