हाल दिल का सुनाना चाहता हूँ,
तुम्हे अपना बनाना चाहता हूँ,
कब तलक छुपाऊं अपनी मोहब्बत,
तुम्हे हाले दिल बताना चाहता हूँ,
शर्मो-हया से रुख पर जो बिखरी जुल्फें तेरी,
उनको रुख से हटाना चाहता हूँ,
मेरे किरदार के हैं यहाँ दिवाने कई पर,
मैं खुद को तेरा दीवाना बनाना चाहता हूँ,
एक मुद्द्त से रहा प्यासा तेरी चाहत का,
तुझको एक बार सीने से लगाना चाहता हूँ,
तुम मुझे ही चाहो और दुनिया भुला दो,
जादू यह इश्क का चलाना चाहता हूँ,
तुम्हे दिल में बसा कर लिखी जो ग़ज़ल,
अब उसे ही गुन-गुनाना चाहता हूँ।
♥️♥️♥️
©SURYAKANT_KASHI
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