Jain Saroj

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मैं ग्रहणी हूं

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#विचार #love_shayari  White ॥ अनुरोध ॥ 

आँखों में 
आँसुओं की नदी के किनारे जैसे रहता है दुःख
वैसे ही तुम रहती हो मेरी हर साँस में 
गरमी की तरह.

मेरे वश में कहाँ है कि मैं कहूँ साँस से 
गरमी पर सिर्फ सूरज का हक है. 
मैं कहूँ आँखों से 
तुम सिर्फ आँसुओं के लिए बनी हो 
दुःख को मत बसाओ अपने हृदय में. 

आज मैं हार कर तुमसे कहता हूँ  
मैं अपराधी हूँ और अब दण्ड पाकर 
मुक्त हो जाना चाहता हूँ 
साँसों की गरमी और आँखों के नीचे जमा दुःख से 
आओ स्वीकार करो मुझे 
मृत्यु बन कर.

अंततः मृत्यु की प्रतीक्षा में ही तो जीते हैं हम!

©Jain Saroj

#love_shayari अच्छे विचार शायरी The Advisor @SONA DEVI Nîkîtã Guptā @Anupriya @Anshu writer

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#मोटिवेशनल #CAT  चेहरे पर चेहरा है,
अंदर तक ना जाने ,
ये इंसान कितना गहरा है,
सामने से दिखता है,
मुस्कुराते हुए बयार,
लेकिन इस चेहरे के पीछे,
ना जाने कितने जख्म छुपे हैं,
जाने कितने दर्दों का पहरा है।

©Jain Saroj

#CAT

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#शायरी #sad_shayari  White हमेशा खुश रहा करो यह सोच कर कि,
दुनिया में हमसे भी ज़्यादा परेशान लोग है.

©Jain Saroj

#sad_shayari

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#विचार  White कहते हैं..सुना है..ऐसा कहा गया है...
ऐसा माना जाता है...
विश्वास की बात है...
आस्था का सवाल है---
इन सब से हटकर एक बार 
ईश्वर से संवाद करने की कोशिश कीजिए...
सारे उत्तर मिल जाएंगे.....

©Jain Saroj

White कहते हैं..सुना है..ऐसा कहा गया है... ऐसा माना जाता है... विश्वास की बात है... आस्था का सवाल है--- इन सब से हटकर एक बार ईश्वर से संवाद करने की कोशिश कीजिए... सारे उत्तर मिल जाएंगे..... ©Jain Saroj

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#विचार #Sad_shayri  *जो मूर्ख अपनी मूर्खता को जानता है
 वो धीरे धीरे सीख सकता है..*

*मगर जो मूर्ख अपने आप को बुद्धिमान समझता है.. 
उसका रोग असाध्य है!*

©Jain Saroj

#Sad_shayri

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#विचार  White विवाह से उत्पन्न प्रेम,
केवल साथ रहने के कारण 
पैदा हुआ मोह होता है। 
हम कहते हैं, विवाह करो, प्रेम नहीं ....
और फिर कहते हैं, 
विवाह से प्रेम पैदा होना चाहिए। 
फिर जो प्रेम पैदा होता है, 
वह पैदा किया हुआ  प्रेम होता है, 
कोशिश से लाया गया होता है.....
वह प्रेम वास्तविक नहीं होता है
वह प्रेम स्वभाविक नहीं होता है 
वह प्रेम प्राणों से सहज नहीं उठता, 
ना ही फैलता है.....!

©Jain Saroj

White विवाह से उत्पन्न प्रेम, केवल साथ रहने के कारण पैदा हुआ मोह होता है। हम कहते हैं, विवाह करो, प्रेम नहीं .... और फिर कहते हैं, विवाह से प्रेम पैदा होना चाहिए। फिर जो प्रेम पैदा होता है, वह पैदा किया हुआ प्रेम होता है, कोशिश से लाया गया होता है..... वह प्रेम वास्तविक नहीं होता है वह प्रेम स्वभाविक नहीं होता है वह प्रेम प्राणों से सहज नहीं उठता, ना ही फैलता है.....! ©Jain Saroj

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