वो आजाद पंछी है,
रोक नहीं सकते तुम,
किसी पिंजरे में कमरे में
या फिर मकाँ में,
अलग ख्याल हैं उसके,
अलग तरीका है जीने का,
अलग एहसास है,
अलग अंदाज है बातों का,
कभी यूँ कि सबको हँसा जाए,
किसी के पास बैठे
तो उसके ग़म भुला जाए,
उसको बुरा लगे तो
कुछ पल के लिए सबसे दूर हो जाए,
कल क्या होगा ,
उसे कोई फिकर नहीं है,
वो आज को आज मे जीती है,
वो एक आजाद पंछी है,
रोक नहीं सकते तुम
किसी पिंजरे मे कमरे में
या फिर किसी मकाँ में ||
अपने को खूब जानती है वो,
किससे कितना मिलना है,
पहचानती है वो ,
बातें पसंद हैं सिर्फ़ सुनना उसे,
ख्वाब पसंद हैं सिर्फ देखना उसे,
सच झूठ,ख्वाब हक़ीक़त का mixture है,
वो एक आजाद पंछी है,
रोक नहीं सकते तुम,
किसी पिंजरे में कमरे में,
या फिर किसी मकाँ में ||
©parijat
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