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बातिल की तलवारें खिंची, हक का सिर सज़दे में था। मौत का साया भी जिन्हें, इबादत से ना रोक सका।। ऐसी इबादत फरिश्तों सुनो, तुम भी ना कर सकोगे कभी। वो बंदा हुसैन था,,, नबी(सल्ल.) का नूरे-ऐन था। ©Sabir Khan
Sabir Khan
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धर्म- ईश्वर से जुड़ने की व्यवस्था है। इसे प्रसिद्धि पाने का साधन बनाने वाले वहीं होते हैं जो समाज में कोई सम्मान नहीं रखते। ©Sabir Khan
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यदि आप बहुमत को ही सत्य मानकर आगे बढ़ रहे हैं तो यकीन रखिये आप दुर्गति को प्राप्त कर रहे हैं। ©Sabir Khan
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भावनायें पवित्र होती हैं,, परंतु जब वह अतिक्रमण करने पर आ जायें तो वह भावशून्यता को प्राप्त कर लेती हैं। भावशून्य व्यक्ति अपवित्र है। ©Sabir Khan
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धर्म- वो व्यवस्था है जो शालीनता सिखाता है! पर अक्सर हम उसे ही लेकर उन्मादी होते हैं। ©Sabir Khan
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ईद मुबारक,,, ©Sabir Khan
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